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लखनऊ

राज्यसभा में बिना मतदान बिल पास करना किसानों के पीठ में छुरा भोंकने जैसा : मुकुट सिंह

दो कृषि बिलों के पास होने पर भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार पर तंज

लखनऊSep 23, 2020 / 05:48 pm

Mahendra Pratap

राज्यसभा में बिना मतदान बिल पास करना किसानों के पीठ में छुरा भोंकने जैसा : मुकुट सिंह

राज्यसभा में बिना मतदान बिल पास करना किसानों के पीठ में छुरा भोंकने जैसा : मुकुट सिंह

लखनऊ. दो कृषि बिलों के पास होने पर उत्तर प्रदेश किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह ने भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहाकि, यह काला कानून संविधान के भी खिलाफ है क्योंकि राज्य का विषय है। राज्यों से बिना चर्चा के इन्हें लाकर राज्य सभा में बिना मतदान बिल को पास करा दिया है। यह कदम संविधान, संसद, किसानों के पीठ में छुरा भौंकने जैसा है।
किसानों के साथ विश्वासघात :- महामंत्री मुकुट सिंह ने कहाकि, भारतीय कृषि की आत्मनिर्भरता पर यह तीखा हमला है। भाजपा-आरएसएस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार का यह कदम अंग्रेजी राज में भारतीय किसानों के निर्मम शोषण जैसे दिनों की वापसी का खतरा, पैदा किया जा रहा है। इस सबको नई आजादी का नाम देकर, झूठे आश्वासन देकर आंखों मे धूल झोंककर किसानों के साथ विश्वासघात किया जा रहा है।
सहकारी खेती का बढ़ावा देने के लिए कानून जरूरी :- महामंत्री मुकुट सिंह ने आगे कहाकि, कोरोना महामारी से लड़ते हुए अन्नदाताओं नें प्राण हथेली पर रख देश को भोजन उपलब्ध कराया, किंतु मोदी सरकार किसानों के प्रति हमदर्दी के बजाये घोर उपेक्षा और धोखा का रवैया अख्तियार किया गया है। खेती किसानी को संकट से उबारने के लिए नव-उदारवादी नीतियों का रास्ता छोड़ किसानों की पक्षधर वैकल्पिक नीतियां ही कारगर उपाय है। फसलों मे लागत का डेढ़ गुना दाम का कानूनी अधिकार और सरकारी खरीद की गारण्टी पूर्ण कर्जा मुक्ति काले कानूनों को रदद करना, किसान सम्मान निधि बढ़ाकर 18 हजार रुपए वार्षिक करना, किसान पेंशन, कारगर फसल बीमा आदि के साथ ही कारपोरेटस की लूट को सुविधाजनक बनाये जाने के बजाये सहकारी खेती का बढ़ावा देने के लिए कानून आदि बेहद जरूरी है।
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