श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष दो दिन मनाई जा रही है। मंगलवार को गृहस्थ लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। मंगलवार सुबह 9.07 बजे के बाद अष्टमी शुरू हो जाएगी और मंगलवार अर्धरात्रि तक पूजन होगा। बुधवार को अष्टमी सुबह 11:17 तक रहेगी। मंगलवार को पूजा का शुभ समय रात 12.05 से लेकर 12.47 मिनट तक है। जन्माष्टमी पर राहु काल दोपहर 12:27 बजे से 2:06 बजे तक रहेगा। जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा। वैष्णव बुधवार को जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे।
लखनऊ के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अजय श्रीवास्तव ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व एक हजार एकादशी का फल देने वाला व्रत है। पूरी रात जप व ध्यान का विशेष महत्व है। भविष्य पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु से बचाता है। इस दिन उपवास कर आत्मिक अमृत पान करें। अहं को समाप्त करें।
पूजा की प्रक्रिया :- राजाजीपुरम में रहने वाले प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि, रात आठ बजे से पूजन श्रीकृष्ण की पूजा करना शुरू करें। दक्षिणावर्ती शंख से दूध, दही, घी, शहद, शर्करा, पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें। षोडशोपचार पूजन के बाद माखन, मिश्री का भोग लगाएं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में मोर पंख, बांसुरी, माखन, परिजात का फूल अर्पित करें। ताजा पान के पत्ते पर ‘ओम वासुदेवाय नम:’ लिखकर श्रीकृष्ण को अर्पित करें। तुलसी पूजा का बहुत महत्व है। तुलसी श्रीकृष्ण को प्रिय हैं। तुलसी की पूजा करके देशी घी का दीपक जलाएं। 11 बार परिक्रमा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
मनोवंछित इच्छा पूरी होगी :- ज्योतिषाचार्य अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि, भक्त जन अगर किसी कला में पारंगत होना चाहते हैं तो वह कृष्ण भगवान बांसुरी बजाते हुए रुप का ध्यान करें। जिन्हे पुत्र की अभिलाषा है वो बालकृष्ण का ध्यान पूजन करें, जिन्हें धन चाहिए हैं वो रुकमणि सहित पूजा करें। वहीं सुख चाहते हैं वो राधा सहित भगवान कृष्ण का ध्यान करे। विवाह चाहने वाले सत्यभामा सहित श्रीकृष्ण का पूजन करें। यदि कोई रोग हो गया हो तो कृष्ण के चक्रधारी रूप का पूजन करें। वहीं अवसाद हो तो कृष्ण के सारथी वाले रूप का पूजा अर्चना करें। सभी भय, मृत्यु के भय, सदगति के लिए विश्व रूप का पूजन करें।