डाक्टर तौसीफ ने बताए मंत्र :- कोरोना वायरस पाजिटिव मरीज का इलाज कर रही पहली टीम के सदस्य डाक्टर तौसीफ संक्रमित हो गए थे। मंगलवार डिस्चार्ज हुए। इसके बाद उन्होंने जो बताया वह कमाल ए तारीफ था। डाक्टर तौसीफ ने कहाकि डाक्टर का काम विपरीत परिस्थितियों में मरीजों का इलाज करना होता है। यह एक चुनौती होती है। मैंने सावधानी बरती फिर भी चपेट में आ गया। अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं।
डाक्टर तौसीफ एक मंत्र देते हुए कहते हैं कि, सकारात्मक सोच से हर मुसीबत से लड़ा जा सकता है यही मैंने भी किया। कोरोना वायरस की चपेट में आने वालों को अच्छा सोचना चाहिए अच्छा खाना चाहिए और सफाई का ध्यान रखना चाहिए। घर पहुंच गया हूं पर यहां भी क्वॉरंटाइन के नियमों का पालन करूंगा। डाक्टर तौसीफ के बताए मंत्रों पर ध्यान देने वाला है। तौसीफ ने कहाकि कोरोना को रोकना है तो मुंह पर मास्क लगाएं, घर में तौलिया व रोजमर्रा की चीजें अलग रखें। दवाएं अन्य मरीजों को दी जा रही थी उन्हीं दवाओं का सेवन करें। भोजन पौष्टिक हो जो आसानी से पच जाए। पाचक भोजन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होता है।
हमारा हौसला न तोड़ सका कोरोना :- डॉ डी. हिमांशु लखनऊ में कोरोना वायरस पाजिटिव मरीज का इलाज शुरू करने वाले पहले डाक्टर हैं। इलाज के दौरान उनकी टीम का एक सदस्य भी संक्रमण की चपेट में आ गया। पूरी टीम को क्वॉरंटाइन किया गया पर हौसला नहीं टूटा। क्वॉरंटाइन का वक्त पूरा होने के बाद भी ड्यूटी पर डटे हैं। डॉ. हिमांशु कहते हैं संक्रमण नियंत्रण यूनिट संभालने के बाद यह पहला मौका है कि अपनी जानकारी के जरिए दूसरों को फायदा पहुंचा सके। प्रदेश की जब पहली कोरोना वायरस पाजिटिव मिली तो कहां रख जाए इस पर चर्चा हो रही थी तब डॉक्टर डी हिमांशु ने पहल कर अपने वार्ड में भर्ती कराया और उनका इलाज शुरू कराया। अचानक टीम का एक रिजल्ट पॉजिटिव हो गया, डॉ. हिमांशु बताते हैं कि सबसे कठिन दौर था, घर जाना छोड़ दिया, टीम का आत्मविश्वास बढ़ाना था। सभी टीम के सदस्यों को मोबाइल कॉल, व्हाट्सएप से लगातार मोटिवेट करते रहे। जिससे टीम के साथियों कदम मजबूती के साथ जमे रहें। दुनिया में मरीजों को कौन-कौन सी दवाएं दी जा रही है इसके बारे में लगातार अपडेट होते और टीम को भी अपडेट करते। परिणाम सामने आ रहा है। 8 मरीज भर्ती हुए थे अब तक 4 को डिस्चार्ज किया जा चुका है।
आत्मबल से बड़ा कोई हथियार नहीं :- 24 दिन लगातार कोरोना वार्ड में रहना हमेशा याद रहेगा। अपनी रिश्तेदार कनाडा की डाक्टर के चपेट में आए लखनऊ विश्वविद्यालय के एमबीए छात्र ने कहा जब पता चला तो बहुत डर लगा पर बचने का उपाय सिर्फ बचाव है। 14 मार्च को केजएम यू में भर्ती कराया गया था मंगलवार को रिलीज किया गया। वार्ड में मुझे लैपटॉप और मोबाइल ले जाने की छूट दी गई, जिसकी वजह से मैं काम में व्यस्त रहा। डॉक्टर नर्सिंगकर्मियों की मेहनत से ठीक हूं। युवक ने कहा कि हर व्यक्ति को क्वारंटाइन के नियमों का पालन करना चाहिए। आत्मबल से बड़ा कोई हथियार नहीं है, उसे बनाए रखें।
डाक्टरों की सलाह मानें :- यश ठाकुर विदेश से लौटे, 19 मार्च को उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। तब उन्हें केजीएमयू में भर्ती किया गया। मंगलवार को उन्हें डिस्चार्ज किया गया। खुश यश ठाकुर ने कहाकि लॉक डाउन की वजह से कोरोना वायरस बीमारी काफी हद तक नियंत्रण में है। लोग पूरी तरह से इसका पालन करें। सैनिटाइजेशन का पूरी तरह ध्यान रखें, तभी इसे खात्म किया जा सकता है। यश ने कहाकि हिम्मत से काम लें, घबराए नहीं। डाक्टरों के बताए उपायों का पूरी तरह से पालन करें।