मामला देवरिया जनपद के सलेमपुर कस्बे का है। जहां सुमित्रा देवी की शुक्रवार को अचानक मृत्यु हो गई। तीन बेटों की मां थी। पर अंतिम समय में उनके पास तीनों बेटे नहीं थे। तीनों बेटे अलग-अलग जगहों पर नौकरी करते हैं और लॉकडाउन की वजह से उन्हीं शहरों में फंस गए। अंतिम समय में घर पर सुमित्रा देवी की बहू नीतू अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ उनके पास थी। बहू ने मृत्यु की सूचना अपने पति चंद्रशेखर समेत दोनों देवरों को दी। पर लॉकडाउन की वजह से उनका निकलना मुश्किल था। उन्होंने नीतू से ही मां का अंतिम संस्कार करवाने को कहा। असमंजस में पड़ी बहू ने हिम्मत दिखते हुए एक फैसला लिया कि अब वह ही अपनी सास का अंतिम संस्कार करेगी।
सामाजिक रूढ़ियों को दरकिनार करते हुए बहू नीतू अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष के पास पहुंची और उनसे मदद मांगी। नगर पंचायत अध्यक्ष ने शव को श्मशान घाट पहुंचाने और अंतिम संस्कार की व्यवस्था करवाई। बहू नीतू ने अन्य लोगों के साथ अपनी सास के शव को कंधा दिया। श्मशान घाट जब शव को मुखाग्नि देने की बारी आई तो परिवार का कोई पुरुष सदस्य मौजूद न होने की वजह से बच्चे को गोदी में लेकर बहू ने खुद ही सास की चिता को अग्नि दी और अंतिम संस्कार की रस्मों को निभाया।
मां को बेटों का कंधा नसीब नहीं हुआ पर बहू ने जिस हिम्मत व दिलेरी से अपनी जिम्मेदारी निभाई उसे देखकर लोग उसकी हिम्मत की दाद दे रहे हैं और सबके सामने बहू नीते की मिसाल पेश कर रहे हैं। देवरिया जिले के लार थाना क्षेत्र के तिलौली गांव की रहने वाली 70 वर्षीय सुमित्रा देवी के तीन बेटे हैं। सभी बाहर नौकरी करते हैं। सुमित्रा देवी अपने मंझले बेटे चंद्रशेखर की पत्नी नीतू और उनके बच्चों के साथ सलेमपुर कस्बे में किराए के कमरे में रहती थी। शुक्रवार को सुमित्रा की तबीयत अचानक खराब हो गई। लोगों की मदद से बहू नीतू उन्हें सामुदायिक चिकित्सा केंद्र ले गई, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।