-मंडी समितियों कागजों में कर रहीं काम-लॉकडाउन का मारा हैरान-परेशान किसान-नहीं निकल रही खेती की लागत, मंडी तक कैसे पहुंचे उपज
खेत में ही पक गया परवल, तरबूज खा रहे सियार
पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट लखनऊ. लॉकडाउन में किसानों की सहूलियत के लिए योगी सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। राहत की कई घोषणाएं की गयी हैं। गेंहू मड़ाई से लेकर अनाज खरीद तक सरकार किसान के द्वार पहुंचने का दावा कर रही है। लेकिन इन सब दावों के उलट किसानों की हालत खराब है। उनकी मुसीबतें पहाड़ से भी ऊंची हो गयी हैं। पत्रिका संवादाताओं ने लॉकडाउन अवधि में गांवों का जायजा लिया। पेश है आंखों देखी रिपोर्ट-
खेतों से मंडी तक नहीं पहुंच पा रही उपज :- मिर्जापुर में गंगा किनारे अधिकतर किसान खेत बटाई पर लेकर कर सब्जी की खेती करते हैं। उनकी फसल तैयार है। खीरा, ककड़ी, तरबूज और परवल को बेचने में उन्हें बड़ी मुश्किलें आ रही हैं। ऐसे में उनकी लागत निकलना भी मुश्किल है। यहां की सदर तहसील के ग्राम सभा गौरा,परवानपुर,काशी सरपति इलाके में गंगा किनारे परवल की खेती बड़ी मात्रा में होती है। किसान यहां 20 विस्वा खेत का आठ हजार रूपये पर बटाई पर लेते हैं। अब परवल तैयार है। इसे मंडी भेजा जाना है। लेकिन कोई साधन नहीं है। कभी 22 सौ रुपया प्रति कुंतल बिकने वाला परवर इस समय 1000 रुपए में भी कोई नहीं खरीद रहा। किसान राम नारायण कहते हैं इस साल तो लागत वसूलना भी मुश्किल है। समरजीत की चिंता है वह बटाई का पैसा कैसे चुकाएंगे। यही हाल यहां के छानवे, सिटी ब्लाक, सीखड़ आदि के किसानों का है। खेत में इनकी ककड़ी, तरबूज सब सियार खा रहे हैं। कोई खरीददार नहीं है।
मंडी समितियां नदारद, जानवरों को खा रहे हरी सब्जियां :- अयोध्या में भी सरयू के किनारे जायद की फसल किसान बोते हैं। लेकिन, लॉकडाउन यहां के किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। नदी तट के खेतों से शहर की मंडियों तक कैसे पहुंचे यह समस्या है। खरबूजा, तरबूज, खीरा और लौकी जैसी फसलें बड़ी तेजी से बढ़ती हैं। इनकी हर दिन तोड़ाई जरूरी है। अन्यथा ये दो-तीन में खराब हो जाती हैं। तोड़ाई न होने से ये फसलें खेतों में ही बर्बाद हो रही हैं। सरयू तट खेती करने वाले विनोद माझी कहते हैं मंडियों तक सब्जियां पहुंचाने के लिए पुलिस से जूझना पड़ रहा है फिर आढ़ती औने-पौने भाव लगा रहे हैं। मंडी समितियों से भी कोई मदद नहीं मिल रही। अब तो हालत यह है कि हरी सब्जी जानवरों को खिला रहे हैं।
अचानक बढ़ गया गंगा का जलस्तर, डूब गयी सारी मेहनत :- फर्रुखाबाद में गंगा किनारे बसे किसानों की मुसीबत कुछ अलग तरह की है। लॉकडाउन में यहां के किसान भयंकर गर्मी में बाढ़ से जूझ रहे हैं। अचानक गंगा का जल स्तर बढऩे से इनकी फसलें जलमग्र हो गयी हैं। यहां के अल्उद्दीन किसान कहते हैं लाखों का कर्ज लेकर जायद की फसल बोई थी लेकिन अचानक सब कुछ पानी हो गया।
बंद पड़े हैं अग्निशमन केंद्र, खलिहानों में स्वाहा हो रही फसल :- चित्रकूट में अन्नदाताओं की अलग ही परेशानी है। लॉकडाउन की वजह से जिलों में कार्यरत अधिकांश अग्निशमन केंद्र बंद हैं। आग बुझाने वाली गाडिय़ों को सेनेटाइजेशन के काम में लगा दिया गया है। ऐसे में गर्मी के महीने में खलिहानों में लग रही आग को बुझाने वाला कोई नहीं है। हर रोज किसी न किसी गांव में किसानों की फसल जलकर राख हो रही है। कहीं हाईटेंशन तार की शॉर्ट सर्किट से उठी चिंगारी तो कहीं बीड़ी सिगरेट की चिंगारी भयंकर लपटों का रूप अख्तियार कर किसानों की उम्मीदों को आग लगा रही हैं। यहां के मऊ थाना क्षेत्र के जोरवारा गांव में हाई टेंशन तार के शॉर्ट सर्किट से लगी आग से सैकड़ों बीघे गेंहू की फसल तबाह हो गई। अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) बलवंत चौधरी किसानों को समझा बुझाकर उनके मन की आग को शांत कर रहे हैं।
लॉकडाउन में किसान के खेत पर सब्जियों के भाव :- कद्दू-4 रुपए प्रति किलो तोरई- 10 रुपए प्रति किलो टमाटर-10 रुपए प्रति किलो परवल- 10 रुपए प्रति किलो खीरा-10 रुपये प्रति किलो तरबूज -10 रुपए प्रति किलो गाजीपुर में गंगा के किनारे नोनहरा थाना इलाके के कठवा मोड़ किसान भरी दोपहरी अपनी फसल की रखवाली में जुटे हैं। खरबूज,तरबूज, ककड़ी, खीरा, लौकी, कोहड़ा, प्याज को मंडी तक ले जाने के लिए कोई साधन नहीं है। किसान इन्हें सस्ते दामों में गांव-गांव बेचने जा रहे हैं। लेकिन लागत नहीं निकल रही। किसान गिरिजा कहते हैं 12 मंडा यानी 24 विस्वा की भूमि पर 12 हजार की लागत से खेती की गई है। लेकिन अब तक सिर्फ 5 हजार रुपए की बिक्री हुई है।
(मिर्जापुर से सुरेश सिंह, अयोध्या से सत्यप्रकाश, फर्रुखाबाद से राजीव शुक्ला, चित्रकूट से विवेक मिश्र और गाजीपुर से आलोक त्रिपाठी की रिपोर्ट)