यूपी की नयी लेडी डॉन गीता तिवारी, जानिए कहां चलता है इनका राज धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्रीराम के वक्त से शुरू हुई थी। तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ही श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी और वो पतंग इन्द्रलोक में चली गई थी। जहां इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को यह रंगबिरंगी पतंग बहुत पसंद आई। इधर रामजी ने हनुमान को पतंग का पता लगाने भेजा। हनुमान, इन्द्रलोक पहुंचे और जयंत की पत्नी से पतंग लौटाने को कहा तो उन्होंने कहा भगवान श्रीराम के दर्शन के बाद ही पतंग वापस करेंगी। हनुमान जी ने वापस लौटकर प्रभु श्रीराम को सारा वृतांत कह सुनाया। इस पर श्रीराम ने चित्रकूट में दर्शन देने की बात कही और हनुमान जी को वापस जयंत की पत्नी के पास भेजा और पूरा वृतांत सुनने के बाद जयंत की पत्नी ने पतंग वापस कर दी। बस तब से मकर संक्रांति पर पंतग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई जो आज तक चल रही है।
मौसम विभाग का यूपी के कई जिलों में भारी शीतलहर का अलर्ट, इस तारीख को तो जबरदस्त रहेगी ठंड मकर संक्रांति के कई नाम :- मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2021 को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति को देश में अलग अलग नामों से पुकारा जाता है। दक्षिण भारत में पोंगल (Pongal), गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण (Uttarayan), गुजरात में मकर संक्रांति पर खास पंतग महोत्सव भी मनाया जाता है। हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी (Maghi) और उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इस त्योहार को ‘खिचड़ी’ (Khichdi) के नाम से जाना जाता है।
विटामिन डी भी मिलता है :- धार्मिक मान्यता के साथ ही इस का वैज्ञानिक कारण भी है, कई माह की सर्दी होने के बाद सूरज से सम्पर्क लगभग खत्म हो जाता है। ‘खिचड़ी’ पर लोग पतंग उड़ाने के बहाने अधिक से अधिक समय तक सूरज की धूप में रहें, जिससे उनको विटामिन डी मिल सके। साथ पतंग उड़ाने से आंखों की रोशनी भी बेहतर हो जाती है।