राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘कर्बला क्या है, इमाम हुसैन कौन हैं पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, जबकि पूर्व के वक्ताओं ने बहुत कुछ कहा है। कर्बला कोई जलसा नहीं है बल्कि एक वाक्या है जिसने एक नया इतिहास रचा। इतिहास से ही भविष्य का रास्ता निकलता है। कर्बला के इतिहास को प्रदर्शनी के माध्यम से प्रदर्शित कर एकता का संदेश देने का अच्छा प्रयास है। भारत की विशेषता है कि धर्म और वेश में चाहे जितनी विभिन्ता हो पर सभी एक देश के वासी हैं। उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करता है। विशाल हृदय वाले तेरा और मेरा का विचार नहीं करते हैं।
राम नाईक ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि यह प्रदर्शनी गत 10 वर्षों से निरन्तर आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब वे 2014 में उत्तर प्रदेश में राज्यपाल बन कर आये थे तब से लेकर आज तक वे पांचवी बार इस प्रदर्शनी का उद्घाटन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच सालों से लगातार आने के कारण मैं इस प्रदर्शनी से अपनेपन का अनुभव कर रहा हूँ। कवि और शायर जिस प्रकार शब्दों से अपनी भावना व्यक्त करते हैं वैसे ही छायाकार चित्र निर्माण में अपनी जान लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि चित्र बनाना या फोटो खीचना मन के भाव को प्रदर्शित करता है।
स्वामी सांरग ने कहा कि इमाम हुसैन एक ऐसा किरदार हैं जिनको जितना जानो उतना चरित्र निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि उनका रास्ता इंसानियत का रास्ता है।