पहली बार गर्भवती होने पर तीन किश्तों में 5000 रुपए दिए जाते हैं। वहीं जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपए और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपए दिए जाते हैं। प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम है। सुरक्षित प्रसव के लिए एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध है।
एक साल में 91997 एचआरपी महिलाएं चिन्हित: जटिल गर्भावस्था (एचआरपी) वाली महिलाओं की पहचान के साथ ही उनका खास ख्याल रखकर उनको सुरक्षित प्रसव के लिए तैयार किया जाता है। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान 91997 महिलाएं इस श्रेणी में चिन्हित की गयीं। वर्ष 2020-2021 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत होने वाली जांच का 836980 महिलाओं ने फायदा उठाया।
जननी सुरक्षा योजना का लाभ :- वर्ष 2005 में जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत की गई। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 में प्रदेश में 2585170 महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल चुका है। संस्थागत प्रसव में यदि प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा को कोई दिक्कत आती है तो उसे आसानी से संभाला जा सकता है। 48 घंटे तक अस्पताल में रोककर पूरी निगरानी की जाती है। और जरूरी टीके की सुविधा भी दी जाती है। यह जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम का हिस्सा है।
पीएम मातृ वंदना योजना में करीब एक करोड़ का रजिस्ट्रेशन :- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जनवरी 2017 में शुरू की गयी थी। सूबे में अब तक करीब एक करोड़ महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। इसके तहत तीन किश्तों में पांच हजार रुपए दिए जाते हैं। आखिरी किश्त तब मिलती है जब बच्चे का प्रथम चक्र का टीकाकरण पूरा हो जाए और जन्म का रजिस्ट्रेशन हो जाए।
एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध :- प्रदेश में 102 नंबर की एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध है। यह गर्भवती को घर से अस्पताल और अस्पताल से घर पहुंचाने का काम करतीं है। वर्ष 2020-21 में 1641842 महिलाओं को घर से अस्पताल और 2015847 महिलाओं को अस्पताल से घर पहुंचाया गया।
आशा कार्यकर्ता की अहम् भूमिका : डॉ. मनोज शुकुल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महाप्रबंधक-मातृत्व स्वास्थ्य डॉ. मनोज शुकुल का कहना है कि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। योजनाओं का लाभ मिले इसलिए जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं। आशा कार्यकर्ता इसमें अहम् भूमिका निभा रहीं हैं।
तीसरे-चौथे महीने की जांच जरूरी : डॉ. मंजरी टंडन संयुक्त निदेशक- मातृत्व स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजरी टंडन का कहना है कि मां-बच्चे को गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए। गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखे। सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल चुन लें। मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एम्बुलेंस का नम्बर याद रखना चाहिए। समय प्रबन्धन अहम् होता है।