लखनऊ

लंकेश की नौटंकी ने चेताया और खूब हंसाया

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से नौटंकी ‘रावणलीला उर्फ कलजुग की माया’ का बली प्रेक्षागृह में मंचन

लखनऊFeb 17, 2019 / 08:44 pm

Mahendra Pratap

लंकेश की नौटंकी ने चेताया और खूब हंसाया

Ritesh Singh
लखनऊ, । समाज में आज आस्था, नैतिकता, संवेदनाओं, रिष्तों का आज वह मूल्य नहीं, सबकुछ पैसों के लेन-देन व स्वार्थपरता पर निर्भर हो गया है। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से नौटंकी ‘रावणलीला उर्फ कलजुग की माया’ का राजवीर रतन का हास्यमय प्रस्तुतिकरण राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में मंचन कई मजेदार क्षणों के साथ दर्शकों को कुछ ऐसा ही संदेष दे गया।
यह ग्राम्य परिवेष की आम रामलीला की कहानी है जो सच्चाई के आसपास है। जिगरपुर ग्राम में रामलीला की तैयारी और उसका मंचन चल रहा है। जहां नौटंकी के आज प्रचलित भद्दे स्वरूप को भी खारिज करने का एक छोटा से प्रसंग से प्रस्तुति प्रारम्भ होती है। आगे की कथा में रामलीला बीच-बीच में कलाकारों की अपनी परेषानियों, संसाधनों के अभाव, लोक कलाकारों की दषा, सामाजिक विसंगतियों की चर्चा करते आगे बढ़ता है। रामलीला करने की आस्था करने वाले कलाकार जिन समस्याओं से जूझते और कैसे किन परिस्थितियों में लीला को अंजाम देते है।
यह प्रस्तुति उनका असलियत के करीब का खाका खींचती है। रावण के दरबार में शूर्पनखा के कटी नाक के साथ रुदन करने की घटना से शुरू हुई जिगरपुर की लीला में मारीच-रावण संवाद, सीताहरण, अषोक वाटिका प्रसंग, रावण के दरबार में हनुमान का आना, विभीषण का निकाला जाना, अंगद का आना और अंततः राम-रावण के युद्ध के प्रसंग हैं। मंच पर रावण मरने से इन्कार कर देता है। बुजुर्ग लोगों को याद होगा कि ऐसी वास्तविक घटनाएं अखबारों की खबरें बनीं, जहां रावण ने मरने से इन्कार कर दिया और जब उसने लीला में अपना भुगतान पा लिया तब ही वह मंच पर धराशायी हुआ।
यहां भी यही होता है राम के तीर में नोट बांधकर दिये जाते हैं और इन्कार रहा रावण धरा पर गिर जाता है। इसके अलावा भी ग्रामीण लीला के अनेक जीवंत दृष्य प्रस्तुति में समाहित हैं। यह नौटंकी या लीला यह भी बताती है कि आस्था, रिष्ते कुछ नहीं, आज के दौर में सब कुछ पैसे से तआल्लुक रखता है। केन्द्र सरकार की उज्जवला योजना की घर-घर पहुंचने की बात नाटक में थी। अन्य मानवीय संवेदनाओं को भी प्रस्तुति छूती, उकेरती या उनकी तरफ इशारा करती है।
ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेषन के संयोजन में 10 जनवरी से आयोजित इस कार्यषाला प्रस्तुति में रावण की मुख्य भूमिका में विकास शर्मा की मेहनत व ऊर्जा सफलीभूत हुई। विष्वजीत ने नर्तकी व हनुमान और देवेन्द्र शेखावत ने शूर्पनखा व मेघनाद की दोहरी भूमिका को कुषलता से निभाया।
विभीषण राधेष्याम, सेनापति अजय अवस्थी, नर्तकी पावनी, प्रबंधक व सूत्रधार डा.दिनेश शर्मा, मारीच सुमित मिश्र, सीता राज मल्होत्रा, अंगद प्रषांत पाण्डेय, राम रोहित अवस्थी, लक्ष्मण पार्थ शुक्ल के संग अंषुमान दीक्षित, पीयूष, बालक अष्वित रतन चरित्र के अनुरूप रहे। अतिथि वक्ता के तौर पर लोककलाओं के अनुभवी जानकार मेराज आलम और वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी नक्कारानवाज सुनीलकुमार विष्वकर्मा ने फन दिखलाने के साथ नौटंकी की बारीकियां बताईं। तजुर्बेकार संगीतकार कमलाकांत मौर्य के गायन, हारमोनियम वादन व संगीत संयोजन ने प्रस्तुति को श्रवणीय बनाया।

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