कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां हुईं और तेज, सीएम योगी ने कहा, डरने की जरूरत नहीं प्रस्ताव मंजूर, आदेश शीघ्र होगा जारी :- अब अगर गुलाबी शहर का नाम लें तो आप जयपुर का नाम बता देंगे। बस इसी तर्ज पर इसी फार्मूले पर यूपी सरकार अब आगे काम करेगी। उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा 12 (क) के तहत शहर के मुख्य मार्गों से सटे भवनों के बाहरी हिस्से के अनुरक्षण व मरम्मत के लिए यूपी सरकार ने पहली बार बाइलाज तैयार किया है। मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन दीपक कुमार ने बताया कि जल्द ही संबंधित आदेश जारी कर दिया जाएगा। विकास प्राधिकरणों को बोर्ड के माध्यम से अपने-अपने शहर में बाइलाज को लागू करना होगा।
भवन मालिक उठाएंगे खर्च :- जैसे ही बाइलाज लागू हो जाएगा तो भवन मालिकों को शहर के मुख्य मार्गों के गैर आवासीय या आंशिक रूप से आवासीय/गैर आवासीय भवनों के बाहरी हिस्से को एक जैसे रंग में रंगना होगा। और यह रंग सरकार तय करेगी। मतलब उस शहर के विकास प्राधिकरण की यह जिम्मेदार होगी। भवन को रंगने के लिए भवन मलिक को छह माह का समय दिया जाएगा। और रंगने का खर्च भी मलिक ही वहन करेगा। अगर भवन मलिक ऐसा नहीं करा पाया तो विकास प्राधिकरण रंग कराएगा और खर्चा भवन मलिक से वसूलेगा। प्राधिकरण में जमा करना होगा। आवासीय कालोनियों या ऐसे मार्ग, जिन पर सिर्फ आवासीय भवन हैं, उनका चयन नहीं करना होगा।
नेम प्लेट व साइन बोर्ड सबके लिए नियम :- बाइलाज में यह भी व्यवस्था है कि सिर्फ बाहरी दीवार ही नहीं नेम प्लेट व साइन बोर्ड आदि का आकार, रंग और लिखावट के लिए भी नियम बनाए गए हैं।
लखनऊ का रंग हो सकता है गुलाबी या पीला :- कौन से शहर के मुख्य मार्ग की इमारतें किस रंग की होंगी, यह अभी तय नहीं है। पर उस शहर पहचान, खसियत उस शहर के रंग को तय करेगी। और रंग एक नहीं दो भी हो सकते हैं। अब अगर रामलला की जन्मभूमि अयोध्या की बात करें तो केसरिया इस शहर को काफी फबेगा। ताजनगरी आगरा तो ताजमहल के झक सफेद संगमरमर के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। तो संभव है कि आगरा का रंग सफेद हो। सूबे की राजधानी लखनऊ रंग गुलाबी या पीला रखा जा सकता है। लखनऊ का रंग एक बार पहले भी गुलाबी किया गया था।