किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, अब यूपी के किसान पूरी दुनिया में आसानी से बेच सकेंगे अपने जैविक उत्पाद, कमाएंगे करोड़ों रुपए
अब उत्तर प्रदेश के किसान पूरी दुनिया में अपने जैविक उत्पाद बेच सकेंगे। मंड़ी परिषद यूपी के पांच शहरों में जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण लैब खोलने जा रहा है। अभी तक प्रदेश के किसानों को अपनी जैविक उत्पादों को प्रमाणीकरण कराने के लिए दर दर की ठोकर खानी पड़ती थी। पर एनएबीएल से प्रमाणित इन प्रयोगशालों के बनने के बाद जैव उत्पादक किसानों का जीवन आसान हो जाएगा और विश्व में अपने उत्पाद को बेच कर धन कमा सकेंगे।

लखनऊ. अब उत्तर प्रदेश के किसान पूरी दुनिया में अपने जैविक उत्पाद बेच सकेंगे। मंड़ी परिषद यूपी के पांच शहरों में जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण लैब खोलने जा रहा है। अभी तक प्रदेश के किसानों को अपनी जैविक उत्पादों को प्रमाणीकरण कराने के लिए दर दर की ठोकर खानी पड़ती थी। पर एनएबीएल से प्रमाणित इन प्रयोगशालों के बनने के बाद जैव उत्पादक किसानों का जीवन आसान हो जाएगा और विश्व में अपने उत्पाद को बेच कर धन कमा सकेंगे।
उत्तर प्रदेश का मंड़ी परिषद लखनऊ समेत पांच शहरों में जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण लैब बनाने जा रहा है। आने वाले दिनों में लखनऊ के साथ वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, और झांसी में यह सुविधा उपलब्ध होगी। ये प्रयोगशाला राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त होंगी। यहां से प्रमाणित उत्पाद किसान पूरी विश्व में कहीं बेच सकता है।
उत्तर प्रदेश में खाद्य पदार्थों की जांच के लिए लखनऊ और मेरठ फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की एक एक प्रयोगशाला है। किसानों के जैविक उत्पादों की जांच यह बहुत मुश्किलों से हो पाती थी। इस वजह से किसानों को भटकना पड़ता था। देश के अन्य राज्यों में काफी पैसा और समय खर्च होता था तब जाकर प्रमाणीकरण हो पाता था। नहीं होने पर किसानों को अपना उत्पाद कम दामों पर बेचना पड़ता था। जिससे उन्हें काफी नुकसान होता था।
जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण की एक लैब बनाने में करीब 1.25 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें एफएसडीए की तकनीक की मदद से सब्जियों, फलों और अनाजों की जांच की जाएगी। जैविक उत्पाद को प्रमाणीकरण देने के लिए इन प्रयोगशालों में यह जांचा जाएगा कि इन उत्पादों में विभिन्न रसायनों और कीटनाशकों की मात्रा परमिशिबल लिमिट से अधिक तो नहीं है। सही आने पर प्रमाणीकरण का सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। प्रत्येक प्रयोगशाला में पांच लोगों का स्टाफ नियुक्त किया जाएगा।
प्रमाणीकरण जरूरी क्यों :- किसान को अगर अपने जैविक उत्पाद को यूरोप और अमेरिका में बेचना है तो यह जरूरी होता है कि उसके पास प्रमाणीकरण का प्रमाण पत्र हो। इसके बाद यह गारंटी हो जाती है कि इसका सेवन नुकसानदायक नहीं होगा।
मंडी परिषद के अपर निदेशक कुमार विनीत का कहना है कि ये पांचों प्रयोगशाला मंडी परिषद की मौजूदा भूमि पर बनाई जाएगी। अगले फेस में कुछ और स्थानों को इसमें शामिल किया जाएगा।
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