लखनऊ

प्रीति और अनामिका की कहानी, फार्म तो भरा लेकिन नहीं पहुंची इंटरव्यू में फिर कैसे मिल गयी इनके नाम पर नौकरियां

आइए जानते हैं शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले मास्टर मांइडों की असली कहानी।

लखनऊJun 15, 2020 / 02:06 pm

Mahendra Pratap

प्रीति और अनामिका की कहानी, फार्म तो भरा लेकिन नहीं पहुंची इंटरव्यू में फिर कैसे मिल गयी इनके नाम पर नौकरियां

पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
महेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. अनामिका शुक्ला, प्रीति यादव, जसवंत सिंह, राज उर्फ पुष्पेंद्र, चंद्रमा यादव और डॉ. आरबी पटेल यह कुछ नाम हैं जो पिछले एक पखवाड़े से मीडिया की सुर्खियां बने हैं। यूपी के लाखों बेरोजगारों के सपनों को इन नामों ने धूल-धुसरित किया है। सूबे के शिक्षा विभाग में अनोखा फर्जीवाड़ा हुआ है। इस फर्जीवाड़े में जिन अनामिका और प्रीति को बदनामी मिली हकीकत में वे बेरोजगार हैं। फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों में कोई इंटर पास है तो कोई एमबीबीएस डॉक्टर तो कोई नेता। एसटीएफ एक मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है दूसरे मामले में जल्द ही गिरफ्तारी का दावा किया जा रहा है। आइए जानते हैं शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले मास्टर मांइडों की असली कहानी।
मास्टर माइंड है इंटर पास :- उप्र में इन दिनों शिक्षक भर्ती के दो मामले चर्चा में हैं। पहला मामला कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में संविदा शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। दूसरा मामला टीईटी परीक्षा में धांधली का है। कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती दो साल के लिए संविदा के आधार पर होती है। चयन मेरिट के जरिए होता है। इसलिए सर्वाधिक अंक वाले मेधावी प्रतिभागियों की मार्कशीट का यूपी के करीब 25 जिलों में उपयोग हुआ। इसमें अनामिका शुक्ला और प्रीति यादव दो ऐसे नाम सामने आए जिनकी मार्कशीट पर कई जिलों में फर्जी शिक्षिकाओं की भर्तियां हुईं। इस भर्ती घोटाले का मास्टर माइंड मैनपुरी का जसवंत सिंह है। यह बीए फेल है। वैभव कुमार के नाम से फर्जी दस्तावेज लगा कर यह भी कस्तूरबा आवासीय विद्यालय, मैनपुरी में नौकरी कर रहा था। पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, पुलिस इसे मुख्य अभियुक्त नहीं मान रही।
पुलिस का कहना है कि भर्ती मामले का असली मास्टर माइंड जसंवत का भाई राज उर्फ नीतू उर्फ पुष्पेंद्र है। यह अभी अभी फरार है। अपने भाई की नौकरी लगवाने में सफल होने के बाद इसने अंबेडकरनगर,फर्रुखाबाद, कासगंज, जौनपुर,मैनपुर समेत 25 जिलों में नौकरी की तलाश में भटक रहीं महिलाओं और युवतियों को अपने जाल में फंसाया। किसी के एक लाख तो किसी से दो लाख लिए और अनामिका शुक्ला की मार्कशीट के सहारे 25 लड़कियों की नौकरियां लगवाईं। इस काम में शिक्षा विभाग की भी मिलीभगत थी।
अनामिका अपनी बेटियों की परवरिश में व्यस्त :- चौंकाने वाली बात यह है कि भर्ती मामले में बदनाम हुईं अनामिका और प्रीति दोनों ही बेरोजगार हैं। इन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली। अनामिका शुक्ला गोंडा की रहने वाली हैं। इनका सपना कभी आइएएस बनने का था। लेकिन शादी के बाद यह घर-परिवार में ऐसी उलझीं नौकरी का ख्वाब ही नहीं रहा। इस बीच दो बच्चियों की यह मां बन गयीं।
इनके बेरोजगार पति ने गोंडा में कस्तूरबा विद्यालय में जब भर्ती का विज्ञापन निकला तो उन्होंने पत्नी का भी फार्म भर दिया लेकिन गर्भवती होने की वजह से अनामिका इंटरव्यू और कांउसिलिंग में शामिल नहीं हो पायीं। लेकिन उनकी मार्कशीट और नंबरों पर गिरोह की नजर पड़ गयी इस तरह हर जिले में अनामिकाओं को नौकरियां मिलती चलीं गयी। जब मामला सुर्खियों में आया तब अनामिका गोंडा बीएसए कार्यालय पहुंची और अपनी हालत बतायी। बहरहाल, इस बीच गोंडा के एक निजी स्कूल ने अनामिका को नौकरी का ऑफर दिया है।
जौनपुर की रहने वाली हैं प्रीति :- अब बात प्रीति यादव की। पूर्वाचंल के कई जिलों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में प्रीति यादव नौकरी करती पाई गयीं हैं। आजमगढ़ और जौनपुर में सर्वशिक्षा अभियान के प्रेरणा पोर्टल और दीक्षा एप पर अपलोड एक ही आधार नंबर से प्रीति यादव का खुलासा हुआ। एक केजीबीवी मुफ्तीनगर जौनपुर में पूर्णकालिक शिक्षिका तो दूसरी केजीबीवी पवई, आजमगढ़ में वार्डन के पद पर तैनात मिलीं। जब असली प्रीति यादव की तलाश हुई तब पता चला यह जौनपुर के सिकरारा की रहने वाली हैं। फिलहाल प्रीति अभी तक बेरोजगार हैं। पूछताछ में प्रीति ने बताया नौकरी के लिए आवेदन तो किया था लेकिन बुलावा पत्र ही नहीं आया। प्रीति अनजान हैं कि कोई इनके नाम पर और इनकी मार्कशीट पर एक जगह नहीं कई-कई जगह नौकरियां कर रहा है।
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