राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित का कहना है कि बालश्रम हमारे समाज की विकराल समस्या है। बच्चे ही देश का भविष्य हैं। इसीलिए विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर आइये संकल्प करते हैं कि बालमजदूरी के खिलाफ आवाज उठाएंगे और इसे रोकने का प्रयास करेंगे।
30 हजार के पार है आंकड़ा वीवी गिरि नैशनल लेबर इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और यूनिसेफ द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि लखनऊ में कुल 30,342 बाल मजदूर हैं। इसी वजह से यह शहर इस मामले में दूसरे नंबर पर पहुंचा है।
बाल अधिकारों का हनन बाल मजदूरी देश के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। बाल मजदूरी इन्हें रोजी रोटी तो देती है, लेकिन शिक्षा और बचपन को इनसे दूर कर देती है। ये इन्हें दो वक्त की रोटी तो देती है, लेकिन बेसिक अधिकार (शिक्षा) से वंचित कर देती है। अशिक्षा के अभाव से दूर इन बच्चों में आपसी कटुता और दिन भर सिर पर बोझ ढोने वाला काम करने के अलावा कोई काम नहीं रह जाता है। इस तरह से सिस्टम और सामाजिक अज्ञानता के चलते बाल अधिकारों का हनन हो रहा है।
कहां होती है सबसे ज्यादा बाल मजदूरी बाल मजदूरी सबसे ज्यादा घरों में, ढाबों में और छोटी-छोटी दुकानों जहां चाय-कॉफी वगैरह बेची जाती है, वहां होती है। कई बार होता है जब चाय का ठेला लगाए 10-15 साल के बच्चे रोजीरोटी के लिए ये काम करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और अगर इसमें बदलाव नहीं किया गया, तो ये बच्चे पीढ़ी दर पीढ़ी बेरोजगारी और अशिक्षा की ओर धक्के खाते जाएंगे।
यूपी में सबसे ज्यादा बाल मजदूर उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 21 करोड़ की है। इसमें 2 लाख से ज्यादा बाल मजदूर हैं। यह यूपी की कुल संख्या का 21 फीसदी ही है। अगर क्राई (Child Right and You) की रिपोर्ट की बात करें, तो उत्तर प्रदेश में 2, 50, 672 बाल मजदूर हैं। इसके बाद बिहार में 1, 28, 087 और महाराष्ट्र में 82,847 बाल मजदूर हैं।
राजस्थान में 14 लाख बाल मजदूर बाल मजदूरी के मामले में राजस्थान की स्थिति भी खराब है। 2010 की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में कम से कम 14 लाख बच्चे हैं, जो गरीबी की मार के चलते बाल श्रम करते हैं। राजस्थान के दक्षिण जिले जैसे बांसवाडा़, डूंगरपुर, उदयपुर से ज्यादा संख्या में बच्चे बाल श्रम करते हैं। उन्हें खेती या फिर किसी अन्य काम में लगा दिया जाता है।