यूपी सरकार ऐसी कंपनियों को प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित करने में जुट गई है जो इस वक्त चीन से अपना कारोबार समेट कर किसी दूसरे कार्यस्थल की तलाश में हैं। अमेरिकी, जापानी, यूरोपियन कंपनियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वार्ता हुई है और अच्छे परिणाम हासिल हुए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट में और निवेश लाने के लिए कसरत तेज कर दी है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने मंगलवार को अमेरिका और थाइलैंड में भारत के राजदूतों के साथ वर्चुअल बैठक कर उत्तर प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने पर चर्चा की।
कुशल कारीगर तैयार कर भेजेंगे थाईलैंड :- इस वर्चुअल संवाद में थाईलैंड में तैनात राजदूत सुचिता दुर्राई के साथ थाईलैंड के बड़े उद्यमी व निवेशक थे। मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि थाईलैंड के उद्यमियों को कहा कि हमारे पास मैन पॉवर सरप्लस है। आप अपनी सूची दे दें कि किस प्रकार का मैन पॉवर चाहिए हम आपको उस विधा के कुशल कारीगर तैयार कर थाईलैंड भेजे देंगे।
पर्यटन क्षेत्र में निवेश पर रिझे थाईलैंड की कई कम्पनियां :- सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी सुझाव दिया कि थाईलैंड के जो बच्चे चीन में पढ़ते हैं उनको विशेष कार्यक्रम के तहत यूपी भेजें। मंत्री ने थाईलैंड और उत्तर प्रदेश के बीच इंडस्ट्री और बिजनेस काउंसिलिंग की स्थापना किए जाने की बात कही। इस संवाद में थाईलैंड के प्रतिनिधियों ने कुशीनगर एअरपोर्ट के बनने पर खुशी जताई और कहा कि यूपी में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। थाईलेंड से अधिक से अधिक लोग कुशीनगर के साथ ही यूपी के भ्रमण पर आ सकेंगे। उद्यमियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की अच्छी संभावना है। थाईलैंड की प्रतिष्ठित बिग सी सुपरसेंटर कंपनी कैश एंड कैरी बिजनेस हाउस है, वह यूपी में निवेश की इच्छुक है।
सौ अमेरिकी कम्पनियां निवेश को तैयार :- मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने अमेरिकी में कामर्शियल काउंसलर ऑफ इंडियन एंबेसी डा. मनोज महापात्रा से भी वर्चुअल मीटिंग की। मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में फार्मासिटिकल पार्क की स्थापना कराई जा रही है। अमेरिका की मेट्रानिक्स तथा माईलेन कंपनी से बातचीत चल रही है। शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिकन यूनिवर्सिटी और उत्तर प्रदेश की यूनिवर्सिटी के बीच वेंचर्स स्थापित करते हुए ट्विनिंग प्रोग्राम शुरू करने पर पर चर्चा की गई। डॉ. महापात्रा ने कहा कि 80 से 100 अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं, जिनसे वह लगातार संपर्क में हैं।