वर्ष 2005 में बनाया अलग गैंग :- ददुआ और ठोकिया के बाद डकैत गौरी यादव बीहड़ में बड़ा नाम बन चुका था। गौरी यादव काफी लंबे समय से अंडरग्राउंड चल रहा था। चार माह पहले अचानक ही इसने चित्रकूट के जंगलों में फायरिंग कर दहशत फैला दी थी। करीब 20 साल पहले डकैती की दुनिया में एंट्री करने वाले गौरी यादव ने वर्ष 2005 में अपना अलग गैंग बनाया था।
कभी एसटीएफ का मुखबिर था! :- वर्ष 2008 में ददुआ, फिर ठोकिया के मारे जाने के बाद वर्ष 2009 में गौरी यादव गिरफ्तार हो गया था। बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया था। चित्रकूट जिले के फरार डकैत गौरी यादव के सिर पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शासन ने इस साल जुलाई में संयुक्त रूप से साढ़े पांच लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हत्या, अपहरण, फिरौती तथा सरकारी काम में बाधा डालने के लगभग 50 मामले दर्ज थे। बताया जाता है कि गौरी यादव कभी एसटीएफ का मुखबिर होता था।
दारोगा की निर्मम हत्या :- डकैत गौरी यादव चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के बेलहरी गांव का निवासी था। कई पुलिस टीमें लगातार उसे ढूढं रहीं थीं। डकैत गौरी यादव कई हत्याएं की। जिसमें मई 2013 में दिल्ली से मामले की जांच करने पहुंचे एक दारोगा की हत्या कर दी थी। इसके बाद मई 2016 में गोपालगंज में तीन ग्रामीणों को खंभे से बांधकर गोली मार दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी जावेद अहमद ने गौरी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था।