राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य की घोषणा कैबिनेट बाई सर्कुलेशन की है। प्रमुख सचिव गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। गत पेराई सीजन के गन्ना मूल्य और ढुलाई भाड़े को इस बार भी यथावत रखा गया है। बाहरी क्रय केंद्रों से मिल गेट तक गन्ना ढुलाई भाड़े की कटौती 42 पैसे प्रति कुंतल, प्रति किमीमीटर और अधिकतम 8.35 रुपए प्रति कुंतल रहेगी।
उत्तर प्रदेश के 40 जिलों में गन्ना उत्पादन होता है और लगभग 50 लाख गन्ना किसान हैं। भाजपा सरकार ने वर्ष 2017-18 में गन्ने का मूल्य में 10 रुपए कुंतल बढ़ाया था। इसके बाद 2018-19 और इस बार 2019-20 में गन्ना मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
प्रदेश के किसानों में घोषित दाम लेकर काफी मायूसी है। पिछले साल भी गन्ना इसी दाम पर बिका था। इस बार किसान को गन्ने के दाम बए़ने की पूरी आशा थी। वक्त को देखते हुए किसान की मांग थी कि सरकार इस बार गन्ने की न्यूनतम की मत 400 रुपए कुंतल रखे।
गन्ना मूल्य घोषित होते ही किसान आंदोलन के स्वर मुखर होने लगे हैं। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गन्ना मूल्य वृद्धि नहीं करने के विरोध में 21 दिसंबर को पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर हल क्रांति आंदोलन करने की घोषणा की है। राकेश टिकैत का कहना है कि राज्य सरकार का गन्ना मूल्य न बढ़ाना किसानों के हितों पर कुठाराघात है।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने गन्ना मूल्य न बढ़ाए जाने पर नाराजगी जताई, उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती की किसानों की अगली पीढ़ी खेती करे।