सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का ऐलान किया। यह जमीन अयोध्या मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम धन्नीपुर, तहसील सोहावल रौनाही थाने के 200 मीटर के पीछे स्थित है। रौनाही अयोध्या के मुख्य मंदिर क्षेत्र के दायरे में नहीं आता है।
संशय हुआ दूर :- इसके पहले मस्जिद के लिए जमीन लेने या न लेने को लेकर संशय बना हुआ था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सचिव एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा था कि यह जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई है। इसे तय करना है कि जमीन लेनी है या नहीं। वैसे भी यह फैसला 1993 के एक्ट के खिलाफ है साथ ही 1994 में दिए गए कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी है। लेकिन, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अध्यक्ष जुफर फारूकी ने कहा कि ‘9 नवंबर 2019 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट है। राज्य सरकार हमें जमीन आवंटित करे और हमें इस पर मस्जिद और उससे जुड़ी दूसरी चीजें बनाने की छूट मिले। हमारे पास जमीन को स्वीकार न करने की छूट नहीं थी क्योंकि ऐसा करना कोर्ट की अवमानना होगा।’इसलिए हमने इस जमीन को स्वीकार किया। सुन्नी वक्फ बोर्ड की 24 फरवरी को बैठक है। बैठक में मस्जिद ट्रस्ट के ऐलान के साथ ही मस्जिद ट्रस्ट के ढांचे के बारे में चर्चा कर उसका खुलासा किया जाएगा। यही ट्रस्ट अयोध्या में मस्जिद निर्माण और संचालन की औपचारिकताएं पूरी करेगा।
रिकार्ड से हटेगा बाबरी नाम :- फारूकी ने बताया कि ‘बोर्ड के सदस्य फैसला करेंगे कि जमीन पर क्या करना है और कैसे करना है। बोर्ड के रिकॉड्र्स से बाबरी मस्जिद शब्द हटाया जाएगा। क्योंकि मस्जिद का कोई वजूद नहीं है इसलिए जल्द ही इसे रेकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।’ बोर्ड को यूपी सरकार का खत मिल चुका है। मीटिंग बाद सरकार को जवाब भेजा जाएगा। बोर्ड में सात सदस्य हैं। हालांकि इनमें से दो सदस्य जमीन लेने के पक्ष में नहीं हैं।
पांच गाटों में बंटी है जमीन :- राज्य सरकार ने रौनाही में आवंटित जमीन से जुड़े खसरा संख्या को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को बता दिया है। जो गाटा संख्या आवंटित किया गया है वहां की जमीनें निर्विवादित हैं। इसका मालिकाना हक उत्तर प्रदेश सरकार का है। ये पांच खसरा नम्बर 100,104,105,110 व 111 हैं। यह सभी आपस में जुड़े हुए हैं। नाप जोख में इस जमीन का पूरा रकबा 2.023 हेक्टयर है, जो एकड़ में नापने पर पांच एकड़ आती है।
तहसीलदार सोहावल वीके सिंह के मुताबिक जिस गाटा संख्या को जोड़कर 5 एकड़ भूमि तैयार की गई है, उस क्षेत्र में ही प्रसिद्ध हजरत शाह गदा शाह बाबा की मजार भी स्थापित है। जिसके आसपास की जमीने सरकारी कृषि फार्म है।और इन गाटा संख्या में किसी प्रकार का विवाद नही है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार :- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अध्यक्ष जुफर फारूकी ने कहा कि’जमीन को स्वीकार करने या खारिज करने का सवाल हमने कभी नहीं उठाया। जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमीन नहीं दी है, वे ही इसे न स्वीकार करने का शोर मचा रहे हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने का फैसला किया था।’
अयोध्या में बनेगा श्रीरामलला विराजमान नाम से नया राजस्व गांव :- यूपी सरकार 67 एकड़ जमीन और उससे जुड़ी भूमि को मिलाकर एक नया राजस्व गांव श्रीरामलला विराजमान बनाने की तैयारी कर रहा है। आस पास की कुछ और जमीनों का अधिग्रहण करने के बाद इसका पूरा क्षेत्रफल करीब सौ एकड़ का हो जाएगा। विहिप के सूत्रों का दावा है कि श्री रामलला राजस्व ग्राम अयोध्या नगर निगम में दर्ज होकर श्रीरामलला शहर हो जाएगा, इसकी कवायद शुरू हो चुकी है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की प्रहली बैठक के बाद अयोध्या में जहां राम मंदिर निर्माण को लेकर कार्य में तेजी आई है, वहीं रामलला की जन्मभूमि क्षेत्र को विकास करने की तैयारियां भी शासन और प्रशासन स्तर पर तेज हो गईं हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार एक नया राजस्व गांव श्रीरामलला विराजमान बनाने की तैयारी कर रहा है। राजस्व गांव बनने के बाद श्रीरामलला विराजमान में विकास तेजी होने लगेगा। राजस्व गांव उन्हें बनाया जाता है, जहां से करीब 60 फीसदी लोग मालगुजारी अदा करते हैं। तीन एकड़ से अधिक खेती वाला किसान से ही मालगुजारी लिया जाता है। राजस्व गांव घोषित होने पर यहां पर सरकारी योजनाओं को प्राथमिकता दी जाती है। और शीघ्र ही इन राजस्व गांव को नगर निगम में शामिल किया जाता है। जिस से इस क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ जाती है।
सरकार श्रीरामलला विराजमान राजस्व गांव में 67 एकड़ जमीन तो शामिल कर ही रही है, उसके साथ करीब की जमीनों का अधिग्रहण कर इसका क्षेत्रफल करीब सौ एकड़ करने जा रही है। इसके बाद श्रीरामलला विराजमान राजस्व ग्राम अयोध्या नगर निगम में दर्ज होकर श्रीरामलला शहर हो जाएगा।