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कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने का जिम्मा ‘कांग्रेस’ को

locationलखनऊPublished: Jan 18, 2020 07:33:28 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

परसन ऑफ दि वीकस्वतंत्र देव सिंह मिली उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी

कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने का जिम्मा 'कांग्रेस' को

कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने का जिम्मा ‘कांग्रेस’ को

महेंद्र प्रताप सिंह

सात माह बाद स्वतंत्र देव सिंह उत्तर प्रदेश भाजपा के निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हो गए हैं। अपने पहले संबोधन में उन्होंने कहा-जहां कार्यकर्ता का पसीना बहेगा, वहां उनका खून बहेगा। किसी भी कार्यकर्ता का अपमान उनका अपमान होगा। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोला। सोनिया गांधी को आड़े हाथों लिया। कहा-प्रदेश में आने वाले दिनों में कांग्रेस का कोई नामलेवा नहीं बचेगा। स्वतंत्र देव का कार्यकर्ताओं से रूबरू होने का यही अंदाज है। वह अपने भाषणों में अक्सर वंशवाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद पर प्रहार करते हैं। ऐसी समां बांधते हैं कि भीड़ मंत्र मुग्ध हो जाती है। भाषण की यह सम्मोहन कला स्वतंत्र देव ने राष्ट्रीय स्वंय संघ की कार्यशालाओं से सीखी है। जिसके वह लंबे समय से जुड़े रहे हैं। उनके जोशीले भाषणों ने ही उन्हें न केवल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया बल्कि दो दशक पहले उनके नाम तक बदल दिया।
वर्ष 1986 में आरएसएस के प्रचारक बनने के बाद स्वतंत्र देव सिंह बड़ी तेजी से संघ और भाजपा में सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते चले गए। वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश में भाजपा का एक कार्यक्रम था। मंच पर मध्य प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती मौजूद थीं। स्वतंत्र देव बतौर यूपी भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आमंत्रित थे। इन्होंने जोरदार भाषण दिया। खूब तालियां बटोरीं। लेकिन, यह सब उपलब्धियां कांग्रेस सिंह नामक युवक के खाते में दर्ज हो रही थीं। उमा भारती को यह नाम अखरा। राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत भाषण और नाम कांग्रेस सिंह। उमा भारती चौंकी। उन्होंने स्वतंत्र देव से कहा, इतना प्रभावशाली संबोधन करने वाले का नाम कांग्रेस नहीं होना चाहिए। उसी वक्त उन्होंने कांग्रेस सिंह को नया नाम दिया स्वतंत्र देव। इस तरह कांग्रेस सिंह भाजपा के स्वतंत्र देव सिंह हो गए। अब इन्हीं कांग्रेस सिंह पर यूपी में कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
16 जुलाई 2019 को सिंह डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की जगह उप्र भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गये थे। कुर्मी बिरादारी से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्रदेव की कर्मभूमि भले ही बुंदेलखंड है लेकिन इनका जन्म पूर्वांचल के मिर्जापुर के ओडी गांव में हुआ था। वर्ष 1984 में यह अपने बड़े भाई के यहां पढ़ने जालौन आए। तब से यहीं के होकर रह गए। वर्ष 1986 में राष्ट्रीय स्वंय संघ से जुड़े। 2000 में भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाए गए। योगी सरकार में परिवहन विभाग के स्वतंत्र प्रभार के मंत्री बनाए गए स्वतंत्रदेव ने अपने जीवन में कोई चुनाव नहीं जीता। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जितनी भी रैलियां हुईं उन सभी में स्वतंत्र देव की उपस्थिति थी। स्वतंत्र देव सिंह हर रैली के एक सप्ताह पहले उस स्थान पर डेरा डाल देते थे। और छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं में उत्साह और ऊर्जा का संचार करते हुए रैली को सफल बनाते थे।
स्वतंत्र देव की यह खूबी है कि जिस भी काम को इन्हें सौंपा जाता है उस काम को यह जमीन में जुड़कर करने लगते हैं। इनके पास बूथ से लेकर मंडल और प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ताओं की हर छोटी-बड़ी जानकारी रहती हैं। ईमानदार छवि के नेता के रूप में स्वतंत्र की पहचान है। लंबे समय तक राजनीति में रहने के बाद और एलएलसी व सरकार में मंत्री पद संभालने के बावजूद इनके पास संपत्ति के नाम पर सिर्फ एक दोपहिया वाहन है।
वर्ष 1986 में इन्होंने अपने छात्र जीवन में यूपी के उरई में, डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा। इसमें यह हार गए। अखबार में पत्रकारिता की। वर्ष 1992 में इस नौकरी को भी छोड़ दिया। और पूर्णकालिक रूप से आरएसएस और भाजपा संगठन में सक्रिय हो गए। बहरहाल, अब जब यूपी में पंचायत चुनाव, सहकारिता चुनाव और स्नातक शिक्षक निर्वाचन सीट के चुनाव होने हैं स्वतंत्र देव के असली कौशल की परीक्षा होनी है। यूपी में फिर से भाजपा की सरकार बनवाने की भी इन पर जिम्मेदारी होगी। इन चुनौतियों से निपटना ही स्वतंत्रदेव की असली अग्रि परीक्षा होगी।
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