शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा ने विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर वर्ष 1987 में राममंदिर का मॉडल तैयार किया था। पिछले 28 साल से पत्थर तराशे जा रहे हैं, उनमें अद्भुत नक्काशी उकेर जा रही है फिर उन्हें रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में रखा जा रहा है। अब तक सवा लाख घनफुट पत्थरों को तराशा जा चुका है। कुछ दिन काम बाद रहने के बाद पिछले तीन चार दिनों से उन तराशे पत्थरों को पानी के प्रेशर से दोबारा साफ किया जा रहा है। साथ ही इस काम के लिए गुजरात से प्रशिक्षित महिलाएं भी बुलाई गई है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक 19 तारीख को दिल्ली में होने वाली है। विहिप का मानना है कि यदि उनके प्रस्तावित मॉडल पर राममंदिर बनता है तो दो साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मॉडल और डिजाइन बदलने से 28 साल की मेहनत जहां बेकार होगी वहीं नए डिजाइन पर मंदिर बनाने में एक लंबा समय लग सकता है।
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं कि प्रस्तावित मॉडल करोड़ों हिंदुओं के मन में बसा है। यदि इसी मॉडल पर मंदिर बनता है तो दो साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा, नए मॉडल पर मंदिर बनने में लंबा समय लगेगा। प्रस्तावित मॉडल के गर्भगृह के लिए पत्थरों की तराशी का कार्य भी पूरा हो चुका है। सवा लाख घनफुट पत्थरों की तराशी भी हो चुकी है। हालांकि अब यह सब नवगठित ट्रस्ट को तय करना है लेकिन हमें उम्मीद है कि जनभावनाओं के अनुरूप प्रस्तावित मॉडल से ही राममंदिर बनेगा।
विहिप की शंका को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान से बल मिलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगले चार महीनों में अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा। पिछले तीन महीनों में गृहमंत्री अमित शाह ने यह बयान कई बार कई जनसभाओं और बैठकों में बोला है। अब अगर गगनचुंबी राम मंदिर का निर्माण किया जाता है तो यह विहिप माडल से बिल्कुल ही अलग है।