क्या निकला जांच में मेस की जांच मेस की गंदी हालत पर एफएसडीए टीम ने संचालक को फटकार लगाई और 15 दिन में सुधार न होने पर जुर्माना लगाने की चेतावनी दी।एफएसडीए के डीओ डॉ. टीआर रावत ने बताया कि चावल, दाल और दूसरे अनाज रखने की कोई व्यवस्था नहीं थी। जमीन पर बोरों में रखे अनाज में चूहे घूम रहे थे और इनमें चूहों की बीट भी थी। कीट नियंत्रण का कोई रेकॉर्ड नहीं था। यही नहीं, मक्खियां और चूहे पकड़ने का भी कोई इंतजाम नहीं था। जांच में मेस की टूटी फर्श में गंदा पानी भरा मिला। जलनिकासी का भी व्यवस्था नहीं थी। मौके पर पेयजल की जांच रिपोर्ट भी नहीं मिली। इसके अलावा मेस कर्मचारियों के पास निर्धारित ड्रेस, एप्रेन, हेड कवर और ग्लव्ज तक नहीं थे। यूनिवर्सिटी की सेंट्रल मेस के खाने में लगातार कीड़े निकल रहे हैं। यहां 9 सितंबर और 17 सितंबर को दाल में कीड़ा निकला, जबकि 18 सितंबर को बेसन की सब्जी में। वहीं, एफएसडीए ने पहले मेस की खस्ता हालत की रिपोर्ट दी थी, लेकिन विवि प्रशासन ने इस पर संज्ञान नहीं लिया।छात्राओं ने हॉस्टल में सुबह दस बजे ही प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद दोपहर 12 बजे हॉस्टल से मार्च निकाला और सेंट्रल लाइब्रेरी का घेराव कर इसका गेट बंद कर दिया। यहां करीब दो बजे तक प्रदर्शन चला। इस दौरान विद्यार्थी लाइब्रेरी में नहीं जा सके।
बीबीएयू में भी हंगामा घटिया खाना परोसे जाने और खाने में लगातार कीड़े निकलने से नाराज छात्राओं ने बीबीएयू के संघमित्रा गर्ल्स हॉस्टल की मेस में ताला जड़ दिया। इसके बाद काले कपड़ों में हॉस्टल से लाइब्रेरी तक मार्च निकाला और लाइब्रेरी में धरना देने लगीं। आखिर में कार्यकारी वीसी प्रो. डीपी सिंह ने छात्राओं के एक प्रतिनिधिमंडल को बुलाया और उनकी मांग पर रिसर्च स्कॉलरों की एक कमिटी बनाई, जो रोज मेस में खाने की जांच करेगी और कमी मिलने पर प्रोवोस्ट को रिपोर्ट देगी। इसके अलावा मेस संचालक बदलने के लिए नया टेंडर करने का भी आश्वासन दिया।