ब्लैक फंगस से यूपी में तीन की मौत, घबराहट बढ़ी किसे हो सकता है :- अगर किसी को कोविड हो और स्टेरॉयड दवा दी गयी हो जैसे-डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेडनिसोलोन इत्यादि। दूसरा, कोविड मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो। तीसरा, डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण न हो। चौथा है, कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।
लक्षण हैं तो सतर्क हों :- 1- बुखार आ रहा हो, सिरदर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो।
2- नाक बंद हो, नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
3- आंख में दर्द हो, आंख फूल जाए। दो दिख रहा हो या दिखना बंद हो जाए।
4- चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो)।.
5- दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें. चबाने में दर्द हो।
6- उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आये।
क्या करें :- उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएं।
सावधानियां :- एडवाइजारी में अलर्ट किया गया है कि, स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर,, दोस्त-मित्र या रिश्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें। स्टेरॉयड दवाएं जैसे- डेक्सोना, मेड्रोल इत्यादि। लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू न करें। स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5-10 दिनों के लिए देते हैं, वो भी बीमारी शुरू होने के 5-7 दिनों बाद सिर्फ गंभीर मरीजों को।इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है। इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं? स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।