जीत ने बसपा सुप्रीमों के चेहरे पर लाई मुस्कान एमएलसी के चुनाव में ग्रेजुएट और शिक्षक ही मतदाता होते हैं। शिक्षकों के समूह शिक्षक दल अभी तक हर चुनाव में अपने ज्यादातर प्रत्याशियों को जिताता रहा है। लेकिन, इस बार भाजपा विधान परिषद में अपनी बढ़त बनाने के लिए पूरा जोर लगाए है। इसलिए मित्र दलों के साथ ही संभावित साथियों से मेल जोल बढ़ाने की कवायद जारी है। राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी रामजी लाल गौतम की असंभव जीत भाजपा के सहयोग से संभव हो पायी थी। माना जा रहा है कि बसपा अपने प्रत्याशियों को मैदान में न उतार कर भाजपा के ‘अहसान’ को पूरा करना चाहती है।
“दलित विरोधी” कार्ड खेला राज्यसभा चुनाव में भाजपा अपनी “दलित विरोधी” छवि को हटाने के लिए एक चाल चली थी। जिसे सपा और कांग्रेस नहीं समझ पाए। भाजपा के इस कदम से मायावती का भाजपा के प्रति मूड भी बदला। हालांकि, मायावती ने भाजपा को अपना हितैषी करार नहीं दिया, लेकिन सपा को अपना कट्टर विरोधी घोषित कर साफ कर दिया कि 2022 में भाजपा उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी नहीं होगी।
विधान परिषद में अल्पमत में भाजपा यूपी विधान परिषद में भाजपा अल्पमत में है। कुल 100 विधान परिषद सीटों में भाजपा के पास महज 21 सदस्य हैं। सपा 55 सदस्य, बसपा 8 और कांग्रेस के पास दो सदस्य हैं, जिनमें से एक सदस्य दिनेश प्रताप सिंह भाजपा के संग है। इनके अतिरिक्त 5 सदस्य स्नातकों व 6 सदस्य शिक्षक संघ से चुनकर आते हैं।
इन 11 सीटों पर होगा चुनाव एमएलसी शिक्षक की 11 सीटों में आगरा, मेरठ, लखनऊ, वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी खण्ड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र और लखनऊ, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद, मेरठ, आगरा व गोरखपुर-फैजाबाद खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव होने हैं।