यूपी में आज से धर्मांतरण संबंधी कानून लागू, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दी मंजूरी
-‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी
-अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में कराना होगा पास
-कानून के तहत दोषी मिलने पर 10 साल की सजा

लखनऊ. यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अवैध धर्मांतरण बिल ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ (UP Vidhi Virudh Dharm Samparivartan Pratishad Adyadesh 2020) के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इसके साथ यूपी में लव जिहाद अब कानून की जद में आ गया है। इसके तहत दोषी मिलने पर 10 साल की सजा होगी। राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही यह अध्यादेश के कानून के रूप में उत्तर प्रदेश में लागू हो गया है। अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा। राज्यपाल की अनुमति के बाद ऐसा अपराध गैर जमानती माना जाएगा। अध्यादेश के अनुसार सिर्फ शादी के लिए किसी एक धर्म से अन्य धर्म में लड़की का धर्म परिवर्तन अगर किया जाता है तो ऐसा विवाह शून्य (अमान्य) की श्रेणी में माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के 10 अहम बिंदु जानिए
सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में अवैध धर्मांतरण कानून ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। इस अध्यादेश में धर्म परिवर्तन करके शादी करने पर कोई रोक नहीं है। इस अध्यादेश के अनुसार, ऐसे विवाह के लिए जिसमें धर्म परिवर्तन होना हो, विहित प्राधिकारी यानी डीएम से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व में सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से लेकर 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही जुर्माना 10 हजार रुपए से कम नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दी है। 20 नवंबर को राज्य की होम मिनिस्ट्री ने न्याय व विधि विभाग को इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा था। प्रस्ताव के मुताबिक, ऐसे मामलों में गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा। UP के अलावा मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी इस मसले पर कानून बनाने की तैयारी चल रही है।
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