लखनऊ. यूपी में 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए 22 जिलों में पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित घोषित हो गए हैं। इनमें 21 भाजपा और एक (इटावा) सपा का है। शेष 53 जिलों के लिए 3 जुलाई को मतदान और मतगणना होगी। अधिकतर जिलों मेें भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। बहुजन समाज पार्टी ने अंतिम समय में चुनाव न लडऩे का फैसला किया है। कांग्रेस किसी भी जिले में मुकाबले में नहीं है। कुछ जिलों मेंं निर्दलीय और क्षेत्रीय क्षत्रप प्रभावी भूमिका में हैं। इस बीच जीत के लिए जोड़तोड़ शुरू हो गयी है। कई जिलों में जिला पंचायत गोवा, मुंबई और केरल की सैर पर भेज दिए गए हैं। तो कुछ जिलों से बाहर हैं। इनके मोबाइल बंद हैं। इससे सपा और भाजपा दोनों में बेचैनी बढ़ गयी है।
बड़े दलों ने सपा से किया किनारा, छोटे दलों संग चुनाव लड़ना अखिलेश की महालाचारी : मायावती देवरिया में 22 सदस्य गए गोवा सूत्रों के मुताबिक देवरिया में एक खेमे ने 22 से अधिक जिला पंचायत सदस्यों को मुंबई और गोवा की सैर पर भेज दिया है। इनके मोबाइल नंबर बंद हैं। बताया जा रहा है कि यह सभी तीन जुलाई तक वापस लौटेंगे। बताया जाता है कि गोवा में इन सभी के रहने के लिए होटल व सैर के लिए लग्जरी वाहन की व्यवस्था की गई है। तीन जुलाई तक सभी को मोबाइल पर बात करने की मनाही है। साथ ही जगह के बारे में किसी को जानकारी देने से मना किया गया है। जिले में पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के लिए 56 में 29 सदस्यों की आवश्यकता होगी। भाजपा ने गिरीश तिवारी तो समाजवादी पार्टी ने शैलजा यादव को उम्मीदवार बनाया है। सभी को 2 जुलाई की रात तक शहर में बुलाया जाएगा। लेकिन वे अपने घर नहीं जाएंगे। उनके ठहरने के लिए शहर में ही इंतजाम किया गया है।
प्रतापगढ़ में जिले से बाहर हैं 36 सदस्य प्रतापगढ़ में सियासी गलियारों में चर्चा है कि एक प्रत्याशी के पक्ष में लामबंद 36 जिला पंचायत सदस्य जिले से बाहर कहीं ठहराए गए हैं। सभी के मोबाइल बंद हैं। सारे जतन के बाद भी इनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि ऐन चुनाव के वक्त उन्हें शहर लाया जाएगा। अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए 29 सदस्यों के बहुमत की जरूरत होगी जबकि, 57 सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। भाजपा पंचायत चुनाव के जिला संयोजक गिरधारी सिंह ने डीएम और एसपी से 36 जिला पंचायत सदस्यों के गायब होने की शिकायत की है।
दबंगई पर भरोसा धनबल से परहेज इस बार पंचायत चुनाव में जो खास बात देखी जा रही है वह यह है कि पहली बार सदस्यों की खरीद-फरोख्त के बजाय नेताओं ने दबंगई पर ज्यादा भरोसा जताया है। पिछले कई चुनावों में जिला पंचायत अध्यक्ष जीत के लिए सदस्यों को एक-एक करोड़ तक का आफॅर करते रहे हैं। ब्लॉक अध्यक्ष स्कार्पियों और बुलेरो गाडिय़ां तक देते रहे हैं। कुछ ही जिलों में खरीद-फरोख्त की सूचनाएं हैं अधिकतर जिलों में पंचायत सदस्य जिले से बाहर हैं। उनके फोन बंद हैं। वे सभी 2 जुलाई की रात तक अपने-अपने जिलों में लौटेंगे।
ऐसे होगा मतदान तकरीबन हर जिले में जिला मजिस्ट्रेट के कक्ष में मतदान होगा। इसके लिए एक मतपेटिका का इंतजाम कर लिया गया है। न्यायालय कक्ष में ही मतगणना होगी। मतगणना के बाद मतपेटिका को कोषागार के डबल लाक में रखा जाएगा। मतदाता जिला पंचायत सदस्य होंगे। उन्हें प्रथम और द्वितीय वरीयता के आधार पर मतदाता पत्र पर टिक लगना होगा।