उत्तर प्रदेश में इस वक्त लखनऊ और मेरठ के दो जल्लादों हैं, जिनके बारे में तिहाड़ जेल प्रशासन को जानकारी उपलब्ध करा दी है। अनुमान है कि मेरठ के पवन जल्लाद का नाम फाइनल कर दिया गया है।
दिल्ली की तिहाड़ जेल अधीक्षक ने कारागार मुख्यालय उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर जल्लाद (हैंग मैन) उपलब्ध कराए जाने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि कुछ दोषियों को फांसी पर लटकाने की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि बहुचर्चित निर्भया कांड के दोषियों को फांसी उत्तर प्रदेश के जल्लाद दे सकते हैं। दिल्ली की जेलों में कोई जल्लाद नहीं है। कारागार मुख्यालय को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि तिहाड़ में कुछ ऐसे सजायाफ्ता मुल्जिम हैं, जिन्हें मृत्यु दंड की सजा दी जा चुकी है और उनकी सभी स्तर से दया याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। उन्हें फांसी देने की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश से जल्लाद भेजे जाने की अपेक्षा की गई है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद के आने-जाने के सभी खर्चों का भुगतान किए जाने की बात भी कही है।
डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद की मांग की है, हालांकि किसे और कब फांसी दी जानी है, इसके बारे में नहीं बताया गया है। आनंद कुमार ने बताया कि यूपी में फिलहाल मेरठ और लखनऊ में दो जल्लाद हैं, जिनके बारे में सूचना भेज दे दी गई है।
आनंद कुमार ने बताया कि तिहाड़ प्रशासन अगर दोनों जल्लादों की मांग करता है, तो ये उपलब्ध करा दिए जाएंगे। फिलहाल मेरठ के जल्लाद को तिहाड़ भेजने के लिए मंजूरी दी गई है। जरूरत हुई तो लखनऊ के जल्लाद को भी भेजा जा सकता है। आनंद कुमार ने बताया कि जल्लादों को बतौर रिटेनर रखा जाता है। इसके लिए उन्हें पांच हजार रुपए महीना दिया जाता है।
दिल्ली में साल 2012 के 16 दिसंबर की सर्द रात हुए निर्भया कांड ने देश को दुनियाभर में शर्मसार कर दिया था। उस रात दिल्ली की सड़क पर एक बस में अपने दोस्त के साथ घर जा रही एक युवती के साथ गैंग रेप कर हैवानियत की गई थी, फिर दोनों को मरने के लिए सड़क किनारे फेंक दिया गया था। बाद में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी।
निर्भया के चार गुनहगारों को फांसी देने की तैयारिया चल रही है। बिहार के जिला बक्सर से तिहाड़ जेल फांसी के छह फंदे भेजे गए। एक फंदे पर 150 किलोग्राम तक के वजन को झुलाया जा सकता है। भारत में आखिरी फांसी साल 2015 में याकूब मेमन को दी गई थी, वह वर्ष 1993 मुंबई बम ब्लास्ट का दोषी था। उससे पहले अफज़ल गुरु को 2013 और अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी। बलात्कार के मामले में आख़िरी बार फांसी 2004 में पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी को दी गई थी। कोलकाता में एक 15 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मुजरिम धनंजय चटर्जी को 14 अगस्त 2004 को तड़के साढ़े चार बजे फांसी पर लटका दिया गया था।