बताया जा रहा है कि इस वक्त चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 22 हजार 79 करोड़ रुपये हो गया है। जबकि केंद्र के एफआरपी के लिहाज़ से ये बक़ाया 17 हजार 683 करोड़ रुपये होता है। एफआरपी गन्ना खरीद की वो दर है जो केंद्र सरकार घोषित करती है जबकि राज्य सरकारें उस दर में अपनी तरफ से जो अतिरिक्त दाम लगा देती हैं, उसे एसएपी कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का दौर अपने पीक पर है। इसके बावजूद यूपी की चीनी मिलों ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया। प्रदेश के इतिहास में पहली बार लगभग 123 लाख कुंतल चीनी का उत्पादन कर एक नया कीर्तिमान बना दिया है। यह उत्पादन देश के कुल चीनी उत्पादन का 47 फीसद है। चीनी के दाम बढ़ने के साथ ही जहां मिल मलिकों को फायदा होगा वहीं यूपी के किसान भी मालामाल हो जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि मिल मलिकों के पास पैसा आने पर वह किसानों के बकाए को वापस कर देंगे।