यूपी ग्राम पंचायत चुनाव 2020 : इस माह पड़ेंगे ग्राम प्रधान और बीडीसी के लिए वोट
यूपी ग्राम पंचायत चुनाव 2020 की तारीखों पर मंथन चल रहा है। पंचायत चुनाव नए साल के अप्रैल-मई माह में होने की उम्मीद है। चुनाव चार चरणों में कराने की तैयारियों में चुनाव आयोग मशगूल है।

लखनऊ. यूपी ग्राम पंचायत चुनाव 2020 की तारीखों पर मंथन चल रहा है। पंचायत चुनाव नए साल के अप्रैल-मई माह में होने की उम्मीद है। चुनाव चार चरणों में कराने की तैयारियों में चुनाव आयोग मशगूल है। चार पदों पर एक साथ वोटिंग होगी। जिसमें ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य हैं। बताया जा रहा है कि मतदान के लिए प्रत्येक जिले के विकास खंड चार हिस्सों में बांटे जाएंगे।
चुनाव आयोग इस वक्त बेहद गंभीरता के साथ मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम तय समय में पूरा करने में जुटा हुआ है। बूथ लेबल आफिसर घर-घर जाकर दरवाजा खटखटा रहे हैं और वोटर लिस्ट का सत्यापन कर रहे हैं। 15 नवम्बर लॉस्ट डेट है। इसके बाद संकलित डेटा को फीड किया जाएगा। और 28 दिसम्बर को मतदाता सूची का फाइनल ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा।
चुनाव आयोग अपनी तैयारियां में जुटा : वेद प्रकाश वर्मा
राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश सहायक निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा का कहना है कि, चुनाव आयोग अपनी तैयारियां में जुटा हुआ है। फिलहाल मतपेटियों, मतपत्रों तथा अन्य चुनाव सामग्री को सहेजने का काम चल रहा है। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का काम जोरों संग जारी है। 28 दिसम्बर को वोटर लिस्ट के फाइनल ड्राफ्ट का प्रकाशन किया जाएगा। आंशिक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार है।
परिसीमन के बाद वार्ड फिर आरक्षण तय होगा :- पंचायतीराज विभाग का काम थोड़ा धीमे है, जिस वजह से शहरी क्षेत्र में पूरी या आंशिक रूप से शामिल की जा चुकीं पंचायतों के ब्यौरे को अंतिम रूप नहीं दिया है। जिस वजह से चुनाव प्रक्रिया पिछड़ रही है। आंशिक परिसीमन के बाद ही वार्डों का नए सिरे से निर्धारण होगा और फिर आरक्षण तय किया जाएगा। इस काम में करीब दो माह का समय लगेगा। इस तरह से दिसम्बर व जनवरी वोटर लिस्ट, परिसीमन व आरक्षण निर्धारण आदि में ही लग जाएंगे।
मार्च महीना पंचायत चुनाव के लिए सही नहीं :- अब अगर चुनाव करवाया जाएं तो चार चरण में होने वाले मतदान में दो महीने लगेंगे। जिसमें फरवरी व मार्च खत्म हो जाएंगे। मार्च का महीना पंचायत चुनाव के लिए सही वक्त नहीं है। क्योंकि यह वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना होता है, जिस वजह से हर आदमी अपने लेखा जोखा में ही व्यस्त रहता है। फिर गेहूं की कटाई और वार्षिक परीक्षाएं। इसजिए चुनाव के लिए मार्च का माह पंचायत चुनाव के लिए ठीक नहीं है। इस प्रकार अगर देखा जाए तो देश की सबसे छोटी पंचायत का चुनाव अप्रैल, मई महीने में होने के आसार बन रहे हैं।
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