आईआईएम लखनऊ हो या फिर लखनऊ विश्व विद्यालय अथवा यहां होने वाला पुस्तक मेला। कल रात से यहां हर एक की जुबान पर पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक एवं मिसाइल मैन एपीजे कलाम का नाम है….
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अनिल के अंकुर लखनऊ। आईआईएम लखनऊ हो या फिर लखनऊ विश्व विद्यालय अथवा यहां होने वाला पुस्तक मेला। कल रात से यहां हर एक की जुबान पर पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक एवं मिसाइल मैन एपीजे कलाम का नाम है। कोई उनके बोलने के सलीके को याद कर रहा था कोई उनकी सादगी याद कर रहा था तो कोई उनकी पाजिटिव सोच को। वे लखनऊ में जब भी आए तो युवाओं में जोश भर गए। किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज के प्रो. एससी तिवारी उनकी याद करते करते बोले- लखनऊ हमेशा यही कहेगा ‘बहुत कमाल के थे कलाम साहब’।
आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर डॉक्टर अजय गर्ग बहुत भावुक हैं। वे कहते हैं कि हमने एपीजे कलाम को खो दिया। बेहद बुरी खबर है यह। देश को उनकी जरूरत थी। जाते जाते वे देश को बताना चाहते थे। जब जब वे आईआईएम लखनऊ आए, यहां के बच्चों ने उन्हें हाथों हाथ लिया। जब वे बोलते थे तो बच्चे शांत हो जाते और उन्हें सुनते। इस पर उन्होंने टोंक दिया। और कहा कि चुप मत बैठो, सवाल पूछो, जितना पूछोगे उतना ज्यादा जानोगे।
शकुंतला मिश्रा विकलांग विश्व विद्यालय उत्तर प्रदेश के कुलपति निशीत राय ने एपीजे कलाम के साथ लखनऊ विश्व विद्यालाय से लेकर अपने तमाम अनुभवों को बताते हुए कहा कि वे इतने सिम्पल व्यक्ति थे कि जिस गेस्ट हाउस में ठहरते थे उसमें रहने वाले भी नहीं जान पाते थे कि इतनी बडी शख्सियत यहां ठहरी हुई है। जब बात करते तो हमेशा विकास के बारे में बात करते। सच कहूं कि लखनऊ उन्हें बहुत मिस करेगा।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी पवन गंगवार ने कहा कि लखनऊ में जब वे एडीशनल सिटी मजिस्टेट थे और उनकी ड्यूटी एपीजे कलाम साहब की अगुवानी की व्यवस्था में लगी थी। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र में कार्यक्रम था और स्कूलों के बच्चे कलाम साहब को देखने के लिए एकत्र थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें कलाम साहब के पास नहीं आने दिया जा रहा था। यह चीज उन्होंने देखी और सुरक्षा कर्मियों से कहा कि बच्चों को आने दो।
फिर क्या था सरकारी प्राईमारी पाठशाला के सैकडों बच्चों ने उन्हें घेर लिया। वे बच्चों के बीच बच्चों की तरह हो गए। बोले बच्चो सपने देखते हो? बच्चे बोले हां। उन्होंने कहा कि बडे आदमी बनने के सपने देखो। कुछ कर दिखाने के सपने देखो, ऐसे सपने देखोगे न ? बच्चों ने उनकी हां में हां मिलाई और कईयों ने उनके साथ फोटो खिंचवाई। इसके बाद वे कार्यक्रम के मंच पर चले गए।
वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी ने कहा कि लखनऊ में एपीजे कलाम के कई कार्यक्रम हुए। हर बार वे यहां के युवाओं और बच्चों में नई ऊर्जा भर कर जाते थे। लखनऊ उनके ऋण को नहीं उतार पाएगा।
लखनऊ में कुछ महीने पहले हुए पुस्तक मेले एपीजे कमाल बतौर मुख्य अतिथि आए तो उन्होंने आयोजकों से कम मेले में आए युवा वर्ग और बच्चों से ज्यादा बातें कीं। उन्हें किताबें पढने के लिए प्रोत्साहित किया और यह जानना चाहा कि आखिर यहां का युवा किस प्रकार के साहित्य को ज्यादा पढना चाहता है।
हर बार उन्होंने नई प्रेरणा दी। इसका जिक्र उप शिक्षा निदेशक विकास श्रीवास्तव कहते हैं कि करीब डेढ साल पहले वह लखनऊ के गांव गए थे और वहां पर उन्होंने बच्चों से जो बातें कीं, कि बच्चे उन्हें सुनते ही रह गए। ऐसा लगा ही नहीं कि इतना बड़ा इंसान इस तरह गांव के बच्चों से बात कर रहा है।