गुरुवार को एंटी सीएए प्रोटेस्ट के बाद हिंसा के चिन्हित आरोपियों के 50 से अधिक होर्डिंग्स लखनऊ में सड़क किनारे लगाए गए। लखनऊ के चौराहों पर लगे होर्डिंग्स में सार्वजनिक और निजी सम्पत्तियों को हुए नुकसान का ब्यौरा हैं। इसके अलावा ये भी लिखा है कि सभी से नुकसान की भरपाई की जाएगी। पोस्टर्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सोशल एक्टिविस्ट व कांग्रेस नेता सदफ जफर, थिएटर आर्टिस्ट दीपक कबीर के भी नाम हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार पोस्टर को नहीं हटाएगी। वह हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ होली के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने बताया कि, ‘अभी हम लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को जांच रहे हैं। इसमें देखा जा रहा है कि किसके आधार पर पोस्टर हटाने का आदेश दिया गया है। हमारे विशेषज्ञ इसे जांच रहे हैं। साथ ही शलभमणि त्रिपाठी ने कहा, ‘सरकार तय करेगी कि अब कौन से विकल्प का सहारा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री को इस पर फैसला लेना होगा लेकिन यह तय है कि सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को बिल्कुल नहीं बख्शा जाएगा।’
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने कहा, ‘हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राज्य सरकार की कार्रवाई, जो कि इस जनहित याचिका का विषय है, और कुछ नहीं बल्कि लोगों की निजता में अवांछित हस्तक्षेप है, इसलिए यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।’ कोर्ट ने यूपी सरकार को सभी पोस्टर हटाने के आदेश देते हुए लखनऊ प्रशासन से इस मामले में 16 मार्च तक रिपोर्ट तलब की है।
योगीराज में दंगाइयों से नरमी असंभव :- हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने कहा था कि योगीराज में दंगाइयों से नरमी असंभव है। मृत्युंजय कुमार ने एक ट्वीट कर कहा, “दंगाइयों के पोस्टर हटाने के हाइकोर्ट के आदेश को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की जरूरत है, सिर्फ उनके पोस्टर हटेंगे, उनके खिलाफ लगी धाराएं नहीं, दंगाइयों की पहचान उजागर करने की लड़ाई हम आगे तक लड़ेंगे, योगीराज में दंगाइयों से नरमी असंभव है।”
सदफ जफर ने कहा एक मिसाल कायम हुई:- सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले के बाद सदफ जफर ने कहा कि फैसले से बेहद राहत मिली हैै हमारा यकीन देश के संविधान में पुख्ता तरीके से कायम हुआ है, जिस तरह से रूल ऑफ लॉ को कोम्प्रोमाईज़ करने की कोशिश की जा रही थी, उसको संज्ञान लेकर मुख्य न्यायाधीश ने फैसला दिया है वो स्वागतयोग्य है, इस जजमेंट से आगे के लिए एक मिसाल कायम हुई है, अब दुबारा इस तरह की हरकत करके जीते जी किसी को चौराहे पर न लटकाया जाए।