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उत्तर प्रदेश है लकी, कोरोना वायरस मरीज तेजी से हो रहे हैं स्वस्थ

locationलखनऊPublished: May 07, 2020 04:15:56 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस मरीजों के ठीक होने की दर 37.6 फीसदराष्ट्रीय स्तर पर औसत 28.7 फीसद

उत्तर प्रदेश है लकी, कोरोना वायरस मरीज तेजी से हो रहे हैं स्वस्थ

उत्तर प्रदेश है लकी, कोरोना वायरस मरीज तेजी से हो रहे हैं स्वस्थ

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ रहा है उसी तेजी से संग कोराना वायरस पाजिटिव मरीजों के ठीक होने का ग्राफ भी बढ़ रहा है। मरीजों के ठीक होने की यह संख्या प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनकी टीम 11 और स्वस्थ्य अफसरों की हिम्मत को दोगुना कर रही है। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस मरीजों के ठीक होने की दर 37.6 फीसद है। राष्ट्रीय स्तर पर औसत 28.7 फीसद है। उत्तर प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो यह कहीं बेहतर है। आज से एक हफ्ते पहले यूपी में कोरोना वायरस का रिकवरी रेट 23 फीसद दर्ज किया गया था।
यूपी के राज्य निगरानी अधिकारी, विकासेंदु अग्रवाल ने बताया कि दो दिनों में प्रदेश में काफी सुधार की स्थिति देखी गई है। वास्तव में देखा जाए तो, मंगलवार और बुधवार को, कोराना वायरस पाजिटिव की आई रिपोर्ट में नए मामलों की कुल संख्या, डिस्चार्ज किए गए व्यक्तियों की कुल संख्या से कम थी। एक माह पहले पहले अगर कोविड-19 के रिकवरी रेट को देख जाए तो उस वक्त प्रदेश में यह दर बहुत कम थी, सिर्फ 4.4 फीसद दर्ज की गई थी। पूरे उत्तर प्रदेश में आज अगर दस जिलों की बात की जाए तो सबसे टॉप पर लखनऊ है, जहां पर 69.9 फीसद मरीज इलाज होने के बाद स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट गए। वहीं लखनऊ का पड़ोसी जिला कानपुर जो ठीक 80 किलोमीटर दूर है, उसकी हालत बहुत खराब है। यहां पर मरीजों के ठीक होने की दर सबसे कम 11.6 फीसद है।
युवा अधिक संक्रमित :- इनमें उन आठ जिलों का मूल्यांकन शामिल नहीं किया गया है जहां, सभी मरीज ठीक होकर घर चले गए हैं। लखीमपुर खीरी, आज़मगढ़, हरदोई, शाहजहांपुर, कौशाम्बी, कासगंज, इटावा और मऊ जिले इनमें शामिल हैं। विशेषज्ञों की मानें तो प्रदेश में एक बड़ी संख्या युवा कोविड-19 मरीज की है। अगर डेटा का आंकलन किया जाए तो यूपी में कोरोना वायरस पाजिटिव मरीजों में 57 फीसद युवा पाए जाएंगे जिनकी उम्र 21-50 वर्ष आयु वर्ग के बीच हैं।
यूपी में मृत्यु दर सिर्फ 2 फीसद :- सेवानिवृत्त सरकारी चिकित्सक और सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ डॉ अनिल शुक्ला का कहना है कि इस उम्र समूह के लोग बीमार कम होते हैं। उनको कोई दूसरी बीमारी लगभग नहीं होती है। साथ ही इनका इम्युनिटी सिस्टम बेहतर होता है, और उसका सिर्फ एक ही काम होता है कि कोराना वायरस को किसी भी ढंग से हराकर शरीर से बाहर फेंक देना है। स्वास्थ्य अधिकारी को कहना है कि प्रदेश में गंभीर मरीजों की संख्या कम है, डेटा बताता है कि यूपी सिर्फ पांच फीसद मरीज ऐसे हैं जिनको गहन चिकित्सा की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि यूपी कोरोना वायरस से हुई मृत्यु दर सिर्फ 2 फीसद है, यह राष्ट्रीय औसत 5 फीसद से बहुत कम है।
शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज करने वाले हुए शिकार :- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग प्रधान सचिव, अमित मोहन प्रसाद ने कहा, प्रदेश में कोरोना वायरस पाजिटिव से हुई मौतों के लिए व्यक्ति का पहले बीमार होना या दूसरी किसी बीमारी का होना जिम्मेदार है। हालांकि, मृत्यु का ऐसा कोई भी उदाहरण सामने नहीं है, यहां तक कमजोर मरीज जैसे बुजुर्ग और बच्चे भी इस बीमारी से ठीक हो गए हैं। पर ऐसे ढेर सारे उदाहरण हैं जिनमें कोरोनोवायरस संक्रमण के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज किया है, वे ही इसका शिकार बनें हैं।
1,130 को मिली अस्पताल से छुट्टी :- देश मे कोरोना संकट विकराल रूप लेता जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में कोरोना पीड़ितों की संख्या 52,952 हो गई है। इस आंकड़े के मुताबिक, 35,902 लोग अभी भी देश मे कोरोना पॉजिटिव हैं, जबकि 15,266 को देश के विभिन्न अस्पतालों से डिस्चार्ज किया जा चुका है। गुरुवार सुबह तक देशभर में मरने वालों की संख्या 1783 हो गई है। उत्तर प्रदेश में 2,998 मामले गुरुवार सुबह तक दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 1,130 को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। यहां 61 लोगों की मौत हुई है।
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