मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं जिसने अपने तीन साल पूरे किए हैं। उनके काम करने के अंदाज ने उत्त्र प्रदेश के कई मुख्यमंत्रियों को कहीं पीछे छोड़ दिया। वो चाहे माया हों, मुलायम हों या कल्याण सिंह सारे मुख्यमंत्रियों से योगी आदित्यनाथ दो कदम आगे निकल गए हैं। सीएम योगी के यह नौ ऐसे गुण हैं जिन्होंने सत्ता पर उनकी पकड़ को और मजबूत किया, साथ ही लोग उनको अपनी फेवरिट लिस्ट में शामिल करने लगे हैं।
अंधविश्वास को दिखाया आइना :- पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोएडा का दौरा करने के नाम से पसीने छूटने लग जाते थे। ऐसा माना जाता था कि जो सीएम नोएडा जाएगा, उसकी कुर्सी उसका साथ छोड़ देती है। पर मुख्यमंत्री योगी ने नोएडा दौरे से कभी गुरेज नहीं किया। जब मौका लगा नोएडा पहुंच गए। योगी के दौरे ने यह साफ कर दिया वह धार्मिक प्रवृत्ति के तो हैं पर अंधविश्वास से उनका दूर-दूर तक का नाता नहीं है।
आस्था के दीवाने :- अयोध्या का दीपोत्सव, मथुरा का कृष्णोत्सव, वाराणसी में देव दीपावली, बरसाने में रंगोत्सव इन सभी उत्सवों को मुख्यमंत्री योगी ने दोबारा से लोगों के दिल में बसाने का काम किया। सावन के महीने में कांवड़ियों की सुरक्षा व फूल बरसाना, प्रयागराज कुंभ की साफ-सफाई ने दुनिया में लोगों को चर्चा करने पर मजबूर कर दिया।
योगी की किताब में फर्ज नम्बर वन :- ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ योगी आदित्यनाथ का मूल मंत्र है। हिन्दू हो या मुस्लिम समुदाय या अन्य किसी समुदाय के लोग हो सभी वाजिब बात के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहे। धर्म, जाति नहीं कानून सबसे उपर है। फर्ज योगी के लिए सबसे उपर है। लॉकडाउन में गोरक्ष पीठ में कन्या पूजन का कार्यक्रम रद्द करना, उससे पहले भगवान नरसिंह की यात्रा में शामिल न होना एक बड़ज्ञ उदाहरण हैं।
साफ सुथरी शिक्षा तंत्र के मुरीद :- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अच्छी और साफ सुथरी शिक्षा तंत्र के मुरीद है। इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में जिस प्रकार तकनीकी का सहारा लेकर नकल के खिलाफ मोर्चा खोला उसकी जनता ने भूरि-भूरि प्रंशसा की। सूबे में में 517 स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गई। आधुनिक शिक्षा और तकनीकी से दूर रहने वाले मदरसों समेत यूपी बोर्ड के सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया।
सख्त प्रशासक का सख्त लहजा :- योगी के फैसले उन्हें एक सख्त प्रशासक चेहरा प्रदान कराता है। एक बानगी देखिए, सीएए विरोधी आंदोलन, नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली और उनका पोस्टर लगाना, प्रदेश के कई शाहीन बाग पर सख्ती, व उत्तर प्रदेश रिकवरी पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी बिल को पारित कराना ये ऐसे कुछ कदम हैं जिसकी हर शांतिप्रिय जनता ने तारीफ की। सख्त लहजे से दिए गए कई बयानों ने प्रदेश ही नहीं देश में सुर्खियां बटोरी।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति :- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम अभी तक किसी भी घोटाले में नहीं आया है। ये जरूर है कि पूर्ववर्ती शासनकाल में हुए घोटालों योगी के शासनकाल में खुले। जिस पर तत्काल कार्रवाई की गई, करीब 700 अफसरों-कर्मचारियों पर ऐक्शन लेते हुए जबरदस्ती घर भेज दिया गया। सीएम योगी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति काम करती है।
कदम मिलकर चली ब्यूरोक्रेसी :- मायावती के बाद ब्यूरोक्रेसी अगर कोई किसी से भय खाती है तो वह है योगी आदित्यनाथ। सीएम योगी खुद भी काम करने के मामले में किसी का इंतजार नहीं करते हैं। इससे देख ब्यूरोक्रेसी ने अपनी कार्यशैली में बदलाव किया। अब ब्यूरोक्रेसी ने सीएम के संग कदम से कदम मिलकर चलने में ही अपनी भलाई समझी। सीएम योगी ने पीएम मोदी के ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मंत्र को ब्यूरोक्रेसी में भी उतारा।
योगी केन्द्रीय नेतृत्व की पहली पसंद :- योगी आदित्यनाथ केन्द्रीय नेतृत्व की पहली पसंद हैं। मुख्यमंत्री योगी की किसी भी जायज मांग को केन्द्रीय नेतृत्व फट से मान लेता है। योगी की छवि और स्पष्टवादिता ही थी कि केन्द्रीय नेतृत्व ने कई चुनावों में उन्हें राष्ट्रीय स्टार प्रचारक के तौर पर मान्यता दी। और योगी ने हमेशा केन्द्रीय नेतृत्व के आदेश पालन बेहद श्रद्धा भाव से किया।
कंट्रोल में कानून व्यवस्था :- कानून व्यवस्था के मामले में निश्चित तौर पर सीएम योगी कुछ पिछड़ते नजर आ रहे हैं। रेप और हत्या ये दो ऐसे मामले हैं जिन पर सीएम योगी अंकुश लगाने के बाद भी कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। इसके बावजूद भी सीएम योगी लगातार कानून व्यवस्था को कंट्रोल करने में लगे हैं। अपराध पर अंकुश लगाने के कोशिश उनके इस फैसले में साफ-साफ दिखती है। लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरी सिस्टम लागू उनकी साफ नियत के बारे में बताता है।