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दुनिया को सत्य का पाठ भारतीयों ने पढ़ाया : योगी आदित्यनाथ

locationलखनऊPublished: Feb 22, 2020 12:47:53 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सत्य को समझने की जरुरत नहीं है। दुनिया को सत्य का पाठ भारतीयों ने पढ़ाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार भारतीय भाषा महोत्सव का उद्घाटन किया।

दुनिया को सत्य का पाठ भारतीयों ने पढ़ाया : योगी आदित्यनाथ

दुनिया को सत्य का पाठ भारतीयों ने पढ़ाया : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ. उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सत्य को समझने की जरुरत नहीं है। दुनिया को सत्य का पाठ भारतीयों ने पढ़ाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार भारतीय भाषा महोत्सव-2020 का उद्घाटन किया। यह आयोजन उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ एवं हिन्दी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में तीन दिवसीय का है।
भारतीय भाषा महोत्सव-2020 के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्य को समझने की जरुरत नहीं है। दुनिया को सत्य का पाठ भारतीयों ने ही पढ़ाया है। भाषा बिना संवाद नहीं बन सकता है। संस्कृत कई भाषाओं का आधार है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मुझे अत्यंत आनंद की अनुभूति हो रही है। प्रदेश की राजधानी में भारतीय साधना और संस्कृति का आधार भारतीय भाषा के मनीषियों की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का 150वां जयंती वर्ष तथा लखनऊ विश्वविद्यालय का शताब्दी वर्ष है। इस महोत्सव का आयोजन भारतीय भाषा के प्रति हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम बनेगा। इसके लिए मैं लखनऊ विश्वविद्यालय को हृदय से धन्यवाद देता हूं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के बड़े भू-भाग को जोड़ने का कार्य ‘हिंदी’ करती है। इसीलिए जब महात्मा गांधी जी के हाथों में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व आया तो उन्होंने प्रखरता से कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है। उन्होंने हिंदी को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने की वकालत की।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया और हिंदी के माध्यम से सभी को जोड़ने का प्रयास किया। जिन अंग्रेजों के बारे में कहा गया कि उनके राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता, उन्हें अपना बोरिया-बिस्तर लेकर देश से भागना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषा के शाश्वत रूप को पहचानना और उसके अनुरूप लोगों के लिए सुलभ बना देना ही अमर कृति का निर्माण करता है। जहां पर भी शब्द द्वारा हमारे साहित्यकारों ने इस ब्रह्म तत्व को समझने का प्रयास किया है, वहीं शब्द ‘ब्रह्म’ बन जाता है।
इस भाषा कुंभ में देश विदेश के भारतीय भाषा के लगभग 200 साहित्यकार भाग लेंगे। उद्घाटन सत्र में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राजनारायण शुक्ल, प्रयाग संस्थान के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित और लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय मौजूद रहेंगे।
इस भाषा कुंभ में कई दिग्गज विद्वानों में दयाप्रकाश सिंहा, चित्रा मुग्द, मृदुला गर्ग, नीरजा माधव, रजनी गुप्त, प्रो. श्योराज सिंह बैचेन, डॉ बलदेव भाई शमा, दिविक रमेश, सुरेश चंद्र शुक्ल, डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा, प्रो. नवीन चंद्र लोहानी, यासमीन सुल्ताना जापान, प्रो. गिरीश्वर मिश्र, प्रो. टीआर भट्ट, प्रो. शेषारत्नम, डॉ. योगेश प्रवीन, सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, शैलेन्द्र सागर आदि हस्तियां शामिल होंगे।

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