Abhishek Mishra लिखते हैं- चालीस हत्याओं के आरोपी
Munna Bajrangi की दर्दनाक मौत, उन सभी के लिए सबक है जो हत्याओं, लूटपाट, फ़िरौती और अपराहन जैसी घटनाओं का धंधा करते हैं। जो मुन्ना बजरंगी के मरने पर शोक मना रहे वो वहीं है जो उस हत्यारें के समर्थक हैं…
Dr. Aditya Kr. Singh लिखते हैं- केन्द्र एवं राज्य में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार आने पर Munna Bajrangi का मरना तो तय था, मगर पुलिस प्रशासन को कब, कहां और कैसे के सोच विचार में इतना समय लग गया। वरना यह मैटर कभी का सलट गया होता क्योंकि इस अभियान के पीछे उत्तर प्रदेश के एक केन्द्रीय मन्त्री की प्रतिष्ठा जो फंसी थी।
Praveen Dixit लिखते हैं डॉन मुन्ना बजरंगी का जेल में कत्ल। वाह यूपी पुलिस वाह। जेल के अंदर भी गोलियां चल जाती हैं। यूपी की जेल में क्या कोई कानून नहीं है। जेल के अंदर एक व्यक्ति का कत्ल हो जाता है। इसके लिये जिम्मेदार कौन है?
जर्नलिस्ट Arnab Goswami लिखते हैं- मुन्ना बजरंगी जिसने 40 लोगों का कत्ल कर दिया, वह न तो कोई संत था और न ही कोई निर्दोष। कुछ लोग योगी उसके लिये आवाज उठा रहे हैं और योगी सरकार को टारगेट कर रहे हैं। हमें उसके लिये छाती पीटने की बजाय यह तय लेना चाहिये कि पुलिस पोटेक्शन गैंगस्टर के लिये हो या फिर जनता के लिये।
Murtuza लिखते हैं- कम से एक बदमाश तो सोशाइटी से कम हुआ। Atrij Kasera लिखते हैं- मुन्ना बजरंगी ने 40 से अधिक लोगों को बिना कुछ सोचे ही मौत के घाट उतार दिया था। ऐसे अपराधी की हम चिंता क्यों कर रहे हैं। उसके कारनामों का प्रतिफल है उसका मर्डर।
Nishant Chaturvedi लिखते हैं- बागपत जेल में गैंस्टर मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या… यक़ीनन ये एक बड़ी सुरक्षा चूक है, लेकिन ऐसे क़ातिल को जीने का क्या हक़ था ..