उन्होंने कहा कि जब आप धर्म पर चलने का संकल्प ले लेंगे तो धर्म का पालन अच्छी प्रकार से होने लगेगा। जब आप सुख-दुख, मान- अपमान, हानि-लाभ में सम हो जाएंगे तो आप परिवार मे सुखी रहने की कला सीख लेंगे। महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती ने कहा कि कर्म पर अधिकार है फल पर नही हैं। वह ईश्वर की कृपा पर है। पेड़ आप लगाते है उसकी भली-भांति सेवा करते हैं, उसमे फल-फूल आना आप के बस मे नहीं है यह ईश्वर देते है।
उन्होंने कहा कि शास्त्र कहता है कि जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है और जो धर्म का हनन करता है धर्म उसका हनन करता है। हम देवता की पूजा करते वह हमें फल देते है हम संत की सेवा करते हैं संत हमको ज्ञान देते है।
धर्म और अध्यात्म को अलग-अलग कर के समझें महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती ने कहा कि व्यक्ति को धर्म और अध्यात्म को समझना बेहद जरुरी है। धर्म जीवन जीने की कला सिखाता है समाज से जुड़ने का तरीका बताता है अन्तःकरण की शुद्धि का तरीका बताता है और अध्यात्म अपनी आत्मा तक पहुंचता है। उस पर पड़े आवरण को हटाओ और स्वयं को जानो। संयोजक आलोक दीक्षित ने बताया कि कथा 22 अगस्त तक शाम 6 बजे से 8 बजे तक होगी। कथा में स्वामी ओंकारा नन्द सरस्वती, आलोक नित्य, सतीश चन्द्र वर्मा, लक्ष्मी नारायण मिश्रा, कौशलेन्द्र मिश्रा, संजय वर्मा, मनोज अग्रवाल, शिव अग्रवाल मौजूद रहे।