19 नवंबर को हुआ था कृषि कानून वापसी का एलान बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी दौरे पर आने से पहले 19 नवंबर को राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की थी। लेकिन इसके बाद भी किसानों का आंदोलन अभी जारी है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को लखनऊ में कहा था कि किसान अभी वापस नहीं जा रहे हैं, जब तक कि सरकार उनसे बात नहीं करती। उन्होंने सरकार से एमएसपी पर कानून बनाने की भी मांग की है।
देश तोड़ने का काम कर रहे राकेश टिकैत वहीं महंत परमहंस आचार्य ने भाकियू प्रवक्ता को चुनौती देते हुए उन पर कई आरोप भी लगाए। परमहंस ने कहा कि अगर राकेश टिकैत कृषि कानूनों के बारे में बता दें तो वो उन्हें एक करोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि टिकैत को कृषि कानूनों को लेकर कोई जानकारी नहीं है, वो सिर्फ देश तोड़ने का काम कर रहे हैं। इसके लिए टिकैत को जबरदस्त फंडिंग मिल रही है।
जनमत संग्रह कराकर वापस लाये जाएंगे कानून महंत ने कहा कि कृषि कानून को जनमत संग्रह करवाकर फिर से लाया जाएगा। इस कानून के पक्ष में देश के 90 प्रतिशत किसान पीएम मोदी के साथ खड़े हैं। महंत परमहंस ने यहां तक कह दिया कि टिकैत चाहें तो पहले इन कृषि कानूनों का अध्ययन करें और फिर इसके बारे में बताएं।
परमहंस आचार्य ने चीन और पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदार किसान आंदोलन की शुरूआत में बीजेपी के नेता भी इसे खालिस्तानियों से समर्थन मिलने की बात कह चुके हैं, लेकिन परमहंस आचार्य ने उससे भी आगे जाते हुए कहा कि टिकैत, चीन और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। यह आंदोलन किसानों को बदनाम करने के लिए विपक्ष के एजेंडे के तहत चलाया जा रहा है। महंत परमहंस आचार्य इन आरोपों से पहले किसान आंदोलन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को धर्मादेश भी जारी कर चुके हैं। उन्होंने इन दोनों सरकारों से इस आंदोलन से सख्ती से निपटने की सलाह दी थी। उससे पहले परमहंस आचार्य भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए जलसमाधि लेने की घोषणा पर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं।