scriptमहाभारत से जुड़े अहम स्थलों को आपस में जोड़े जाएं | Maharbharat circuit up tourism news in hindi | Patrika News

महाभारत से जुड़े अहम स्थलों को आपस में जोड़े जाएं

locationलखनऊPublished: Jan 14, 2018 03:52:12 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

यूपी पश्चिम के महाभारत सर्किट में विकास को लेकर वादे तो तमाम हुए लेकिन अभी तक पूरे नहीं किए गए।

patrika
लखनऊ. यूपी पश्चिम के महाभारत सर्किट में विकास को लेकर वादे तो तमाम हुए लेकिन अभी तक पूरे नहीं किए गए। कहा जाता है कि महाभारत काल के दौरान पांडवों ने अपना अज्ञातवास यहीं मेरठ के आसपास ही काटा था। हस्तिनापुर पांडव की राजधानी थी। महाभारत के इतिहास और पांडवों के उन स्थानों से जुड़ा हुआ है, जहां पर वे ठहरे थे। इनमें विदुर कुटी, बरनावा का लाक्षागृह (जहां पर पांडवों को जलाने के लिए लाख का किला बनाया गया था), कुंती रसोई, पांडव के अलावा और भी कई ऐसी धरोहर हैं, जिनका संबंध सीधा पांडवों से रहा है। इसका दायरा करीब 38 किलोमीटर का है।
अटका हुआ है काम

मेरठ में महाभारत सर्किट का प्रस्ताव छह माह पूर्व इंटेक यानी इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के चेयरमैन मेजर जनरल एलके गुप्ता ने शासन को भेजा था। इसको लेकर मेरठ में कई बार कार्यशालाएं भी आयोजित हुई। जिसमें मेरठ के कई इतिहासविदों ने भाग लिया था। महाभारत सर्किट को 1957 के स्वतंत्रत संग्राम के महत्व से भी जोड़ने की बात इतिहासविद डॉ विध्नेश त्यागी ने कही थी। डॉ. विध्नेश त्यागी का कहना है कि कि अभी तक यह महत्वपूर्ण क्षेत्र धार्मिक ग्रंथों में ही लोग पढते चले आए थे। लेकिन महाभारत सर्किट से इस धार्मिक महत्व के क्षेत्र से लोग रू-ब-रू हो सकेंगे। आदिकाल के इतिहास से जुडे महाभारत सर्किट में मेरठ के हस्तिनापुर के बरनावा तक का क्षेत्र आता है।
महाभारत से जुडे अहम स्थलों को आपस में जोड़े जाएं

मेरठ कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रो. डॉ विध्नेश त्यागी के अनुसार इस योजना से वेद व्यास द्वारा रचित पौराणिक ग्रंथ महाभारत से जुड़े अहम स्थलों को आपस में जोड़ने में मदद मिलेगी। डॉ. त्यागी के अनुसार महाभारत सर्किट के तहत सबसे पहले महाभारत में उल्लेखित हस्तिनापुर, कांपिल्य और अहिच्छत्र को जोड़ा जाएगा।
कुरू शासकों की राजधानी थी हस्तिनापुर

इतिहासकार डॉ. ज्ञानेन्द्र शर्मा के अनुसार हस्तिनापुर कुरू शासकों की राजधानी थी, जो वर्तमान में मेरठ से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं, कांपिल्य फर्रुखाबाद के नजदीक कांपिल्य नाम के कस्बे के तौर पर आज भी मौजूद है। कांपिल्य को द्रौपदी की जन्मस्थली माना जाता है। इसके अलावा अहिच्छत्र या पांचाल देश को बरेली में रामनगर गांव के नजदीक खोजा गया था।बुद्ध और जैन धर्म से जुड़े अहम ऐतिहासिक स्थलों को जोडने में होगी महत्वपूर्ण भूमिका
पर्यटन को लाभ मिलना जरूरी

हस्तिनापुर और महाभारत से जुड़ी ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के लिए साल में करीब एक लाख लोग बाहर से आते हैं। लेकिन इन धार्मिक स्थलों पर यात्रियों के लिए सुविधाएं न होने से ये लोग यहां पर रूकते नहीं। लेकिन महाभारत सर्किट योजना से इस क्षेत्र को खासकर मेरठ पर्यटन को लाभ मिलेगा। मेजर जनरल एलके गुप्ता के अनुसार पर्यटन के साथ धार्मिक स्थल पर यात्रियों की संख्या तीन गुना होने का अनुमान है। अगर सुविधाएं उपलब्ध हो तो इसका सीधा लाभ मेरठ के पर्यटन विभाग को मिलेगा। इंस्टिट्यूट ऑफ टूरिज्म स्टडीज के एसिस्टेंट प्रोफेसर सुयश यादव का कहना है कि यूपी में पर्यटन का काफी स्कोप है। बस यहां जरूरत है उसकी ब्रांडिंग की। न केवल आगरा , वाराणसी बल्कि कई ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं जिन्हें बढ़ावा मिलना चाहिए। उनकी ज्यादा से ज्यादा ब्रांडिंग होनी चाहिए। मध्य प्रदेश औऱ गुजरात टूरिज्म से सीख लेने चाहिए। उन्होंने जिस तरह से ब्रांडिंग की है वो लाजवाब है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो