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Makar Sankranti 2018 : जानिए कैसे मनाई जाएगी मकर संक्रांन्ति, तिल से पूजा करने का श्रेष्ठ पर्व

locationलखनऊPublished: Jan 15, 2018 11:10:53 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

Makar Sankranti 2018 : मकर संक्रांन्ति पर इस बार स्‍नान-दान और पूजन के लिए पुण्यकाल सिर्फ 3 घंटे 53 मिनट तक रहेगा।

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Neeraj Patel

Makar Sankranti 2018: मकर संक्रांन्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति 15 जनवरी दिन सोमवार को है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाई जा रहा है। इस मकर संक्रान्ति के पर्व पर महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए पूजा की जा रही है। जिससे उनके परिवार पर किसी भी तरह से कोई परेशानी न आए। इस मास में 15 जनवरी को जब सूर्य मकर राशि पर आएगा तभी यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें और पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।

पंण्डित दिलीप दुवे ने बताया कि इस बार स्‍नान-दान और पूजन के लिए पुण्यकाल सिर्फ 3 घंटे 53 मिनट तक ही रहेगा। 15 जनवरी दिन रविवार को दोपहर 1.45 बजे सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश होगा। इस दिन सूर्य अस्त शाम 5.38 बजे होगा। इसके चलते श्रद्धालुओं को स्‍नान-दान के लिए पुण्यकाल 3 घंटे 53 मिनिट की अवधि के लिए रहेगा। ज्योतिर्विद् के मुताबिक पर्व का वाहन भैसा, घोड़ा और उपवाहन ऊंट होने से व्यापारियों के लिए लाभदायक स्थिति निर्मित होगी।

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मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिए इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहा जाता हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति के ही नाम से जाना जाता हैं। यह भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा है।

तिल, गुड़, रेवड़ी, गजक बांटकर दी जाएंगी शुभकामनाएं

मान्यता के अनुसार मकर संक्राति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेगा। मकर संक्रांति को भारत के कई राज्यों के स्थानों पर खिचड़ी के रूप में भी मनाई जाएगी। इसलिए मकर संक्रांति के दिन कई स्थानों पर खिचड़ी खाने का भी प्रचलन है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग भी लगाया जाएगा। इसके अलावे इस दिन तिल, गुड़, रेवड़ी, गजक का प्रसाद भी लोंगो में बांटकर एक दूसरों को शुभकामनाएं दी जाती हैं। इस दिन सुबह- सुबह पवित्र नदी में स्नान कर तिल और गुड़ से बनी वस्तु को खाने की परंपरा है। इस पवित्र पर्व के अवसर पर पतंग उड़ाने का अलग ही महत्व है। बच्चे पतंगबाजी करके ख़ुशी और उल्लास के साथ इस त्यौहार का भरपूर लुत्फ़ उठाएंगे।

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मकर संक्रांति पर गुड़ और तिल लगाकर स्नान कर पूजा करके गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ की प्रप्ति होगी और पुण्यफल की भी प्राप्त होगा। कहा जाता है कि 14 जनवरी एक ऐसा दिन है, जो साल में एक बार ही आता है। जब धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए माना जाता है कि जब सूर्य दक्षिण के बजाय उत्तर को गमन करने लगता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर बहुत ही बुरा माना गया है, लेकिन जब वह सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।

परंपराओं के अनुसार मनाई जाएगी मकर संक्रांति

भारतीयों का यह प्रमुख पर्व मकर संक्रांति अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन से ही अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन की तैयारियां शुरू हों जाएंगी और कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी मकर संक्रांति के दिन से ही होगी। मकर संक्रांति त्योहार भारत के कई राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाई जाएगी।

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पंण्डित दिलीप दुवे ने बताया कि हमारे ऋषि मुनियों ने मकर संक्रांति पर्व पर तिल के प्रयोग को बहुत सोच समझ कर परंपरा का अंग बनाया है। कहते हैं इस दिन से दिन तिल भर बड़ा होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह शरद ऋतु के अनुकूल होगा। मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से तिल का विशेष महत्व है, इसीलिए हमारे तमाम धार्मिक तथा मांगलिक कार्यों में, पूजा अर्चना या हवन, यहां तक कि विवाहोत्सव आदि में भी तिल की उपस्थिति अनिवार्य रहेगी।

मकर संक्राति की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुरूप इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि के पास जाते है, उस समय भगवान शनिदेव मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। पिता पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्राति को महत्व माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते हैं तो उनका मन-मुटाव दूर हो जाता है और सकारात्मकता खुशी और सम्बृद्धि के साथ सम्मिलित हो जाती है।

इसके अलावा इस विशेष पर्व की एक कथा भीष्म पितामह से जुड़ी हुई और है, भीष्म को यह वरदान मिला था कि उन्हे अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी। जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आंखें बंद की और इस तरह उन्हे इस विशेष दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई।

मकर संक्रांति पूजा मंत्र

मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की निम्न मंत्रों से पूजा करें।

1. ऊं सूर्याय नम:

2. ऊं आदित्याय नम:

3. ऊं सप्तार्चिषे नम:

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