लखनऊ

यूपी के 46 प्रतिशत बच्चों की लम्बाई है औसत से कम, जानिए क्या है कारण

उत्तर प्रदेश में लगभग 5 वर्ष तक के 46.3 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनकी लम्बाई उनकी आयु के अनुपात में कम है।

लखनऊDec 09, 2017 / 03:15 pm

Laxmi Narayan

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के साथ ही लोगों को उनके पोषण का ख्याल रखना एक बड़ी चुनौती है।नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग 5 वर्ष तक के 46.3 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनकी लम्बाई उनकी आयु के अनुपात में कम है। इसके अलावा 17.9 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लम्बाई के अनुपात में कम है जबकि 6 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी लम्बाई के अनुपात में बहुत कम है तथा 39.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी आयु के अनुपात में कम है। उत्तर प्रदेश में बाल स्वास्थ्य और बाल पोषण को लेकर यह तस्वीर चिंता पैदा करती है। प्रदेश में महिलाओं की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। गर्भवती महिलाओं की बात करें तो लगभग 25.3 प्रतिशत महिलाओं का वजन सामान्य से कम हैं और 5 वर्ष तक के 63.2 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी पाई गई है।
विटामिन की कमी से रुकता है लम्बाई का विकास

नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऐशबाग लखनऊ के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव बताते हैं कि विटामिन ए और आयरन को बच्चों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।विटामिन ए हमारे शरीर में कई अंगो के समन्वय को कम करने में उत्तरदायी होता है। छोटे बच्चो में अगर विटामिन ए की कमी होती है तो उनके विकास पर उनका असर पड़ता है और उनका कद भी छोटा रह सकता है। बच्चों में बीमारियों से लड़ने की ताकत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसी के साथ यह हमारी आँखों के लिए भी बेहद जरूरी है। इसकी कमी से बच्चों में रतौंधी हो जाती है जिसमें रोगी को अंधेरा होने पर असामान्य रूप से कम दिखाई देता है।
कुपोषित बच्चों के बीमार होने की संभावना अधिक

डॉक्टर अभिषेक इसी के साथ आयरन को भी शरीर के लिए बेहद जरूरी मानते हैं। यह हीमोग्लोबिन बनाने तथा शरीर की लाल रुधिर कोशिकाओं में ऑक्सीजन को ले जाने का काम करता है। यदि आयरन का स्तर बहुत ज्यादा गिर जाए तो हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और खून की कमी हो जाती है। इसके अलावा वे इस बात पर जोर देते हैं कि 6 माह तक केवल स्तनपान व समय से ऊपरी आहार देने से कुपोषण से बच्चों को बचाया जा सकता है। बच्चों में कुपोषण के कारण इन्फेक्शन व डायरिया जल्दी होने की सम्भावना होती है। |
मोटे लोग भी हो सकते हैं कुपोषित

सुश्रुत इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्लास्टिक सर्जरी लखनऊ के रुमेटोलोगिस्ट फिजिशियन डॉ स्कन्द शुक्ला कहते हैं कि कुपोषण का मतलब सिर्फ पोषक तत्वों की कमी नहीं हैं। पोषण की अति भी समस्या हैं। हमारे देश में मोटापा तेज़ी से बढ़ रहा हैं इससे काफी समस्याएं होती हैं। मोटापे का दुर्भाग्य ये है कि उसमे अधिकता वसा की तो होती हैं, लेकिन अन्य पोषक तत्वों की कमी भी साथ मिल सकती हैं , इसलिए मोटे व्यक्ति को स्वस्थ मानना बंद करना चाहिए। खाते-पीते घर का होना यह नहीं बताता कि व्यक्ति सही से सम्यक भोजन खाता-पीता हैं।
 
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