बरेली में बंद हुए कारखाने बरेली का सुरमा अपनी क्वॉलिटी के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में फेमस है। यहां का सुरमा न सिर्फ आंखों की खूबसूरती बढ़ाता है बल्कि इसे लगाने से आंखों के कई प्रकार के रोगों से भी निजात मिलता है। बरेली के सुरमे की पहचान देश के कोने-कोने में होने के साथ ही कई मुल्कों में भी है। करीब 200 साल पहले दरगाह-ए-आला हजरत के पास नीम वाली गली में हाशमी परिवार ने इसकी शुरुआत की थी। शहर में सुरमे के दो ही बड़े कारखाने है जबकि छोटे बड़े मिलाकर कुल कारखानों की संख्या 10 होगी। इन इसके साथ ही यहां पर सुरमे की छोटी बड़ी 60 दुकानें होंगी। अब लॉकडाउन की वजह से सुरमे की दुकानें और कारखाने बंद हैं, तो इससे जुड़े हुए करीब 200 से 300 लोग खाली बैठे है। दरगाह आला हजरत पर सुरमे की दुकान चलाने वाले नावेद हाशमी ने बताया कि 22 मार्च के बाद से उनकी दुकान बंद है इसके साथ ही सुरमा बनाने वाले कारखानों में भी ताला पड़ा हुआ है।
मुरादाबाद का पीतल उद्योग प्रभावित लॉकडाउन ने मुरादाबाद के पीतल उद्योग को प्रभावित किया है। लगभग तीन हजार करोड़ के उत्पादों पर खतरा मंडराने लगा है, जिसके चलते कारोबारियों में चिंता की लहर खींच गई है। कोरोना वायरस से जिले में पीतल कारोबार को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों का अंतराष्ट्रीय बाजार में सबसे बड़ा मुकाबला चाइना के उत्पादों से होता है। पीतल उद्योग में तैयार ज्यादातर उत्पादों में चाइना से आयातित पार्ट्स लगाए जाते हैं। यह पार्ट्स लॉकडाउन के चलते अब आयात नहीं किए जा रहे हैं।
पांच लाख श्रमिक बेरोजगार लाॅकडाउन से फिरोजाबाद का चूड़ी कारोबार भी ठप पड़ा है। यहां के चूड़ी और कांच कारखानों में काम करने वाले करीब पांच लाख श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। फिरोजाबाद में कांच की हरी चूड़ियां बड़े स्तर पर तैयार होती हैं। पूरे देश के अंदर उत्तर प्रदेश का एक मात्र जिला फिरोजाबाद है जहां से चूड़ियां बड़े पैमाने पर देश विदेश में जाती हैं। इसलिए इस शहर को सुहागनगरी के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं यहां अब हैंडीक्राफ्ट के कांच आयटम भी बड़े स्तर पर तैयार किए जाते हैं। फिरोजाबाद में करीब 200 कारखाने संचालित हैं। इनमें गैस चालित करीब 125 चूड़ी कारखाने संचालित हैं। तीन दर्जन कारखाने माउथ ब्लोइंग कांच कारखाने हैं। इन्हें माउथ ब्लोइंग इसलिए कहा जाता है कि इन कारखानों में मजदूर कांच की नली में लपेटकर फूंक मारकर उपकरण तैयार करते हैं। फिरोजाबाद में तैयार होने वाली चूड़ी और कांच उद्योग में करीब पांच लाख श्रमिक काम करते हैं। इनमें से करीब दो लाख मजदूर कारखानों के अंदर काम करते हैं जबकि बाकी चूड़ी जुडाई, झलाई समेत फिनिशिंग का काम अपने-अपने घरों से करते हैं। लाॅकडाउन होने के बाद सभी कारखाने बंद हैं। ऐसे में किसी प्रकार का प्रोडक्शन नहीं होने से रोजगार को लेकर संकट पैदा हो गया है।
200 करोड़ से अधिक का नुकसान कोरोना वायरसस को लेकर किए गए लाॅकडाउन में फिरोजाबाद के कारखानेदारों को करीब 200 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। यूपी जीएमएस उद्यमी संगठन राजकुमार मित्तल बताते हैं कि कारखाने बंद होने के बाद उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में दिल्ली के प्रगति मैदान में वल्र्ड फेयर का आयोजन किया जाता था जिसमें करोड़ों रुपए के ऑर्डर मिलते थे। इन्हीं ऑर्डर को सभी कारखानेदार पूरे साल तैयार कराते हैं। लेकिन इस बार काफी माल तैयार रखा है और ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं।