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ग्राम प्रधान बनने की तैयारी कर रहे कई दावेदार नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव

locationलखनऊPublished: Jan 09, 2021 10:53:10 am

Submitted by:

Neeraj Patel

– पंचायत चुनाव में लागू होने जा रहे आरक्षण पर टिकी दावेदार प्रत्याशियों की नजरें- नए सिरे से आरक्षण ने सभी दावेदारों के गणित को बिगाड़ दिया

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की विधिवत घोषणा में अभी काफी समय है, लेकिन प्रदेश गांवों में प्रधानी व बीडीसी चुनाव का डंका अभी से लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा है। यूपी से सभी गांव पूरी तरह चुनावी मोड में आ गए हैं। प्रधानी-बीडीसी लड़ने के दावेदारों की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन आरक्षण उनके सपनों पर पानी फेर सकता है। ग्राम प्रधान बनने की तैयारी कर रहे कई दावेदार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। नए सिरे से आरक्षण के चलते प्रधानी और बीडीसी आदि के दावेदारों को झटका लगना तय माना जा रहा है।

पंचायत विभाग के सूत्रों के अनुसार 10 जनवरी की बैठक में आरक्षण के नए फॉर्मूले पर मुहर लग सकती है, लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार इस बार ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायतों में नए सिरे से आरक्षण हो सकता हैं। 2015 के पंचायत चुनाव में भी सीटों का आरक्षण नए सिरे से हुआ था। एक बार फिर से नए सिरे से आरक्षण ने सभी दावेदारों के गणित को बिगाड़ दिया हैं। इसी के चलते फिलहाल सबकी नजर, पंचायत चुनाव में लागू होने जा रहे आरक्षण पर लगी है। वहीं परिसीमन व वोटर लिस्ट का काम चल रहा है जिससे देहात का माहौल धीरे धीरे चुनावी होता जा रहा हैं।

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वर्णमाला के क्रम में बनाई जाएगी ग्राम पंचायतों की सूची

प्रदेश के हर ब्लॉक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला के क्रम में बनाई जाएगी। इसमें एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक पर अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते क्रम में होगी। यानी साफ है कि 2015 में जो पंचायत जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी, उन्हें इस बार उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। यानी अगर 2015 में पंचायत का प्रधान पद एससी-एसटी के लिए आरक्षित था तो इस बार उसे दूसरे वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा।

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