एक हजार में 66 पति करते हैं बीवी के साथ जबरदस्ती नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि देश में 6.6 फीसदी महिलाओं के साथ वैवाहिक बलात्कार होता है। आसान शब्दों में यूं समझिए कि एक हजार में 66 महिलाएं ऐसी होती हैं, जिनके साथ उनके पति जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाते हैं। सर्वे में सिर्फ 0.16 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनके साथ पति के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष ने जबरन संबंध बनाए थे। .. अर्थात दो हजार महिलाओं में सिर्फ तीन महिलाएं ऐसी हैं, जिसके साथ पति के बजाय किसी अन्य ने जबरन सेक्स किया था। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि देश के साथ राज्यों में बीवियों के साथ ज्यादा जबरदस्ती होती है। यह राज्य यूपी, बिहार, पंजाब, झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ हैं।
सात राज्यों के एक तिहाई मर्दों ने गलती को कबूल किया सर्वे के दौरान वैवाहिक बलात्कार के लिए बदनाम यूपी, बिहार, पंजाब, झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्य के 31 फीसदी मर्दों ने स्वीकार किया कि उन्होंने तमाम मर्तबा पत्नी के अनिच्छा के बावजूद शारीरिक संबंध बनाए हैं। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विकसित देशों के मुकाबले भारत में वैवाहिक बलात्कार के मामले ज्यादा हैं, जबकि अफ्रीका और एशिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में यह अपराध कम होता है। फिलहाल दुनिया में ब्रिटेन, फिनलैंड, डेनमार्क, जर्मनी, अमेरिका ही ऐसे देश हैं, जहां भारत के मुकाबले वैवाहिक बलात्कार कम होता है।
सिर्फ 15 साल से कम बीवी से जबरदस्ती पर सजा होगी भारतीय कानून के मुताबिक, बाल विवाह अपराध है, लेकिन विवाहित होने की स्थिति में नाबालिग बीवी की उम्र 15 बरस से ज्यादा है तो जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने को अपराध नहीं माना जाता है। बलात्कार की सजा के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 375 की उपधारा 375 (ए) कहती है कि 15 वर्ष की उम्र से ज्यादा लेकिन 18 वर्ष की उम्र से कम पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार अथवा अन्य अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।
एक याचिका से देश में वैवाहिक बलात्कार पर छिड़ी है बहस यह बहस क्यों? यह जानने के लिए सुप्रीमकोर्ट की पिछली सप्ताह की कार्रवाई पर गौर करना होगा। दरअसल, सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका के जरिए सवाल पूछा गया था कि बाल विवाह पर प्रतिबंध की स्थिति में नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबध बनाने पर अपराध होगा अथवा नहीं। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने धारा 375 (ए) की व्याख्या करते हुए वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने से इंकार कर दिया। अलबत्ता कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा है कि बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाए। इसी मुकदमे के दौरान यह भी तथ्य गूंजा कि 15 वर्ष से ज्यादा उम्र की विवाहित महिला से पति के जबरन संंंबध बनाने को बलात्कार नहीं माना जाएगा, जबकि इसी उम्र की लडक़ी के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाने पर भी लडक़े को सजा भुगतनी पड़ती है।