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रविदास मंदिर मामला: मायावती की दलित समाज से अपील, कहा कानून को न लें अपने हाथ में

locationलखनऊPublished: Aug 23, 2019 12:48:32 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– रविदास मंदिर गिराए जाने पर दलित समाज में रोष
– मायावती ने की दलित समाज से कानून कोो अपने हाथ में न लेने की अपील
– केंद्र व दिल्ली सरकार से बीच का रास्ता निकाले की मांग की

रविदास मंदिर मामला: मायावती की दलित समाज से अपील, कहा कानून को न लें अपने हाथ में

रविदास मंदिर मामला: मायावती की दलित समाज से अपील, कहा कानून को न लें अपने हाथ में

लखनऊ. दिल्ली विकास प्राधिकारण द्वारा तुगलकाबाद के पूजनीय संत रविदास मंदिर गिराए जाने पर दलित समाज में रोष है। वे इस बास से दुखी हैं कि उनके भगवान का निवास उनसे छीना जा रहा। उनकी मांग है कि संत रविदास मंदिर को न गिराया जाए। संत रविदास मंदिर गिराया जाना दलित समाज की आस्था का सवाल है। रविदास मंदिर को लेकर दलित समुदाय ने दिल्ली के तुगलकाबाद में उग्र प्रदर्शन किया। इस पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने लोगों से कानून को अपने हाथ में न लेने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र व दिल्ली सरकार से सरकारी खर्चे पर रविदास मंदिर बनाने की मांग की।
https://twitter.com/Mayawati/status/1164756009757237253?ref_src=twsrc%5Etfw
गौतम बुद्ध का मार्ग पर चलकर साधें अपने हित

मायावती ने कहा कि संत रविदास के अनुयाई दिल्ली के तुगलकाबाद में गिराए गए रविदास जी के मंदिर को पुन: निर्माण के लिए आक्रोशित होकर कानून को अपने हाथ में न लें। उन्होंने नसीहत दी कि रविदास के अनुयाइयों को गौतम बुद्ध मार्ग से चलकर अपने हितों को साधना चाहिए।
https://twitter.com/Mayawati/status/1164756011984416769?ref_src=twsrc%5Etfw
केंद्र व दिल्ली सरकार को निकालना चाहिए बीच का रास्ता

मायावती ने मोदी और केजरीवाल सरकार से मंदिर के पुन: निर्माण के लिए अपील की। उन्होंने कहा कि केंद्र व दिल्ली सरकार को सरकारी खर्चों से संबंधित मंदिर का पुन: निर्माण कराने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए ताकि समुचित न्याय हो सके। यूपी में बसपा सरकार ने संत रविदास के सम्मान में अनेकों एतिहासिक कार्य किए हैं।
यह है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली विकास प्राधिकारण ने रविदास मंदिर को 10 अगस्त, 2019 को गिराया। जिस जगह मंदिर था वह चारों तरफ से दिल्ली विकास प्राधिकारण की बाउंड्री से घिरा है। बाउंड्री के बीच से मंदिर में जाने का एक रास्ता था, जिसे सीमेंट और ईंट की दीवार से सील कर दिया गया। नई दीवार को हर तरफ से पुलिस बैरिकेड से घेर दिया गया। मंदिर गिराए जाने पर वहां से 1905 की ईंटें निकलीं। इस परिसर में 1930, 1959 और 1986 की तीन समाधियां भी थीं, वह भी इसी पंथ से जुड़े हुए थे, जिन्हें हटा दिया गया।
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