मायावती ने आरएसएस प्रमुख के बयान को बताया गतल वहीं भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने वाले आरएसएस के बयान पर मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) (RSS) प्रमुख के हिंदू राष्ट्र बयान से सहमत नहीं है। बाबा साहब आंबेडकर ने धर्मनिरपेक्षता के आधार पर संविधान बनाया था। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के आधार पर सभी धर्म के लोगों का ख्याल रखा था। मायावती (Mayawati) ने कहा कि आरएसएस प्रमुख को इस तरह का बयान देने से पहले सच्चर समिति की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए। गौरतलब है कि नागपुर में विजयादशमी के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र है और यहां के मुस्लिम बहुत खुश हैं। मायावती ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (RSS) प्रमुख मोहत भागवत (Mohan Bhagwat) के को इस तरह का बयान देने से पहले सच्चर समिति की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए।
मोदी सरकार पर मायावती का निशाना बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार की विफल नीतियों की वजह से इस समय देश में आर्थिक सुस्ती आई है। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस और सत्तारूढ़ बीजेपी की सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए दलितों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण को रोकने के लिए आंतरिक समझ है। दलितों और अनुसूचित जनजातियों के हितों के लिए बनाए गए कानूनों को सरकार ने निष्प्रभावी कर दिया है। इससे देश में वंचितों का शोषण करने वालों को बढ़ावा मिला है।
यह है धर्म परिवर्तन की वजह दरअसल महाराष्ट्र में बीएसपी (BSP) सीटों के लिहाज से सफल नहीं है, लेकिन वोट शेयर के लिहाज से पार्टी कई राज्यों की तरह यहां भी एक बड़े हिस्से पर जीत दर्ज करती है। यूपी की तरह यहां भी दलित मायावती (Mayawati) के साथ बड़ी तादाद में जुड़े हुए हैं। मायावती का यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। बड़ी तादाद में लोगों के साथ धर्मांतरण की बात पर बहस शुरू हो गई है। मतलब साफ है कि मायावती (Mayawati) को भरोसा है कि दलित समुदाय अभी भी उनके साथ है और उनके कहने पर वो धर्म परिवर्तन जैसा बड़ा क़दम बिना सोचे-समझे उठा सकता है।
भीमराव आंबेडकर ने ली थी दीक्षा आपको बता दें कि संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने 14 अप्रैल 1956 को नागपुर की दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। भीमराव आंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) को 1942 में भारत आकर बसे बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद ने सात भिक्षुओं के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। दीक्षा लेने के कुछ महीनों बाद ही 6 दिसंबर 1956 को भीमराव आंबेडकर (Bhimrao Ambedkar Death) का निधन हो गया था।