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बसपा सुप्रीमो ने लिया सबसे बड़ा फैसला, बीएसपी की राजस्थान कार्यकारिणी को किया भंग, मचा हड़कम्प

locationलखनऊPublished: Sep 23, 2019 08:20:10 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई के तहत राजस्थान की प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है।

बसपा सुप्रीमो ने लिया सबसे बड़ा फैसला, बीएसपी की राजस्थान कार्यकारिणी को किया भंग, मचा हड़कम्प

बसपा सुप्रीमो ने लिया सबसे बड़ा फैसला, बीएसपी की राजस्थान कार्यकारिणी को किया भंग, मचा हड़कम्प

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई के तहत राजस्थान की प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। अभी हाल ही में राजस्थान में बीएसपी के सभी 6 विधायकों ने कांग्रेस (Congress) का दामन थाम लिया था। बीएसपी के विधायकों के पारी बदलने पर मायावती ने काग्रेंस पर जमकर हमला भी किया था।

मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बसपा के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमंद और धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बीएसपी मूवमेंट के साथ विश्वासघात है, जो दोबारा तब किया गया, जब बसपा वहां कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी। इसके बाद अपने अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती चली आई है, जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं। कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी पार्टी है और इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है।

बसपा सुप्रीमो ने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर और उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही है। इसी कारण डॉ अंबेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। जो कि अति-दुःखद और बेहद ही शर्मनाक है।

2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 99 सीटें मिली थी। जबकि भाजपा को 73 सीटों से ही मिल पाई थी। हालांकि नतीजों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन पूर्ण बहुमत से एक सीट कम रह गई। कांग्रेस ने बीएसपी और निर्दलीय विधायकों की मदद से अपनी सरकार बनाई थी। बीएसपी के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब गहलोत सरकार अपने दम पर पूर्ण बहुमत वाली सरकार हो गई है।

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