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मायावती की बढ़ी मुसीबत, इस घोटाले पर हाईकोर्ट का आया फैसला

locationलखनऊPublished: Sep 20, 2018 05:10:17 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की परेशानी एक फिर बढ़ती नजर आ रही है।

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लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की परेशानी एक फिर बढ़ती नजर आ रही है। गुरुवार को बसपा शासनकाल में हुए बहुचर्चित स्मारक घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से विजिलेन्स जांच की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। बता दें कि जांच को लेकर याचिकाकर्ता शशिकांत उर्फ भावेश पाण्डेय ने याचिका दाखिल की है। लखनऊ में बने स्मारकों के घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराये जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।
इस मामले में चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। इसमें उन्होंने कहा कि घोटाले का कोई दोषी बचना नहीं चाहिए। इस याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दर्ज प्राथमिकी की जांच की एक हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली 27 सितंबर को होगी।
यह स्मारक हैं शामिल-

दायर याचिका में कहा गया है कि अंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांसीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, ईको पार्क, नोएडा अंबेडकर पार्क, रामबाई अंबेडकर मैदान स्मृति उपवन आदि के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है। लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट में इस घोटाले का जिक्र किया है। ऐसे में इस घोटाले की जांच CBI या अन्य जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग की गई है।
यह है मामला, इन लोगों पर लगा आरोप-

मामला 2007 से 2012 के बीच बसपा शासनकल का है जिसमें बसपा पर नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों के निर्माण में घोटाले का आरोप लगा है। लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था। इस मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व मंत्री नसीरुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व मंत्री बाबू राम कुशवाहा व 12 तत्कालीन विधायक आरोपी हैं। यही नहीं इस मामले में 100 से ज्यादा इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी आरोपी बनाए गए हैं। 2014 में सभी के खिलाफ इस मामले में FIR दर्ज की गई थी। मामले में निर्माण निगम, पीडब्ल्यूडी, नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के इंजीनियर और अधिकारी आरोपी हैं।
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