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माया का मैजिक है बरकरार, जीत की हैं वही असली हकदार

locationलखनऊPublished: Mar 14, 2018 08:27:56 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

मायावती के समर्थन से बसपा का वोट एक झटके में सपा को ट्रांसफर हो गया है और दोनों सीटें सपा जीत गई।
 

Mayawati magic continued
लखनऊ. लोकसभा उप चुनाव में सपा ने दोनों ही सीटों पर जोरदार जीत हासिल की है। लेकिन इस जीत के पीछे की इबारत लिखने में मायावती का बड़ा योगदान रहा है। जीत का श्रेय मायावती को ही जाता है। मायावती का एक ही निर्णय सपा को लाखों वोट ट्रांसफर करने में मददगार रहा। मतलब यह है कि सपा ने उप चुनाव में गोरखपुर और फूलपुर से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। वहीं मायावती ने उप चुनाव में अपना कैंडीडेट नहीं उतारा और सपा को समर्थन देने का ऐलान किया। नतीजा यह रहा कि सपा ने दोनों सीटों पर भारी जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि अगर सपा और बसपा दोनों ने मिलकर लोकसभा 2019 का चुनाव लड़ा तो यूपी में बीजेपी की राहें काफी मुश्किल होंगी।
दलित वोटों पर माया की पकड़ है बेजोड़
यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी भले ही लोकसभा चुनाव २०१४ में एक भी सीट नहीं पाई लेकिन वोट प्रतिशत उनके पास ठीक-ठाक था। दलितों का वोट काफी हद तक बसपा को ही गया। मायावती ने सपा को समर्थन दे कर यूपी की राजनीति में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।
आज भी दलित वोट है बहनजी के साथ

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार में मायावती का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। अगर मायावती सपा को समर्थन देने का निर्णय नहीं लेतीं तो आज चुनाव परिणाम कुछ और होते और भाजपा की जीत काफी हद तक निश्चित होती, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता और वही हुआ जिस सपा को मायावती अपना सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्मन मानतीं हैं उसी सपा को उन्होंने समर्थन देकर योगी और पीएम मोदी की मुश्किलें बढ़ा दीं। अब यह गठबंधन अगर २०१९ के लोकसभा में हो जाता है तो यूपी की राजनीति में ये दोनों पार्टी भाजपा को मात देने में सफल हो सकती हैं।
अगर मायावती ने मिलाया हाथ तो मिल सकती है भारी जीत
अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी के लिए जीत आसान नहीं होगी। बतादें कि बसपा के साथ आज भी दलित वोट है। यह दलित वोट बसपा का परंपरागत वोट माना जाता है। फूलपुर और गोरखपुर के लोकसभा उप चुनाव में यह देखने को भी मिला। जैसे ही मायावती ने सपा को समर्थन देने की बात कि बसपा का परंपरागत दलित वोट सपा की तरफ शिफ्ट हो गया और आज सपा के दोनों प्रत्याशी बीजेपी को करारी मात देने में सफल रहे। उप चुनाव में भले ही सपा की जीत हुई है लेकिन इस जीत की असली हमदार अगर देखा जाए तो मायावती ही हैं अगर उन्होंने सपा को समर्थन नहीं दिया होता तो आज सपा जीत नहीं पाती और भाजपा की यह दुर्दशा नही होती।
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