दलित वोटों पर माया की पकड़ है बेजोड़
यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी भले ही लोकसभा चुनाव २०१४ में एक भी सीट नहीं पाई लेकिन वोट प्रतिशत उनके पास ठीक-ठाक था। दलितों का वोट काफी हद तक बसपा को ही गया। मायावती ने सपा को समर्थन दे कर यूपी की राजनीति में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।
यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी भले ही लोकसभा चुनाव २०१४ में एक भी सीट नहीं पाई लेकिन वोट प्रतिशत उनके पास ठीक-ठाक था। दलितों का वोट काफी हद तक बसपा को ही गया। मायावती ने सपा को समर्थन दे कर यूपी की राजनीति में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।
आज भी दलित वोट है बहनजी के साथ गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार में मायावती का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। अगर मायावती सपा को समर्थन देने का निर्णय नहीं लेतीं तो आज चुनाव परिणाम कुछ और होते और भाजपा की जीत काफी हद तक निश्चित होती, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता और वही हुआ जिस सपा को मायावती अपना सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्मन मानतीं हैं उसी सपा को उन्होंने समर्थन देकर योगी और पीएम मोदी की मुश्किलें बढ़ा दीं। अब यह गठबंधन अगर २०१९ के लोकसभा में हो जाता है तो यूपी की राजनीति में ये दोनों पार्टी भाजपा को मात देने में सफल हो सकती हैं।
अगर मायावती ने मिलाया हाथ तो मिल सकती है भारी जीत
अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी के लिए जीत आसान नहीं होगी। बतादें कि बसपा के साथ आज भी दलित वोट है। यह दलित वोट बसपा का परंपरागत वोट माना जाता है। फूलपुर और गोरखपुर के लोकसभा उप चुनाव में यह देखने को भी मिला। जैसे ही मायावती ने सपा को समर्थन देने की बात कि बसपा का परंपरागत दलित वोट सपा की तरफ शिफ्ट हो गया और आज सपा के दोनों प्रत्याशी बीजेपी को करारी मात देने में सफल रहे। उप चुनाव में भले ही सपा की जीत हुई है लेकिन इस जीत की असली हमदार अगर देखा जाए तो मायावती ही हैं अगर उन्होंने सपा को समर्थन नहीं दिया होता तो आज सपा जीत नहीं पाती और भाजपा की यह दुर्दशा नही होती।
अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी के लिए जीत आसान नहीं होगी। बतादें कि बसपा के साथ आज भी दलित वोट है। यह दलित वोट बसपा का परंपरागत वोट माना जाता है। फूलपुर और गोरखपुर के लोकसभा उप चुनाव में यह देखने को भी मिला। जैसे ही मायावती ने सपा को समर्थन देने की बात कि बसपा का परंपरागत दलित वोट सपा की तरफ शिफ्ट हो गया और आज सपा के दोनों प्रत्याशी बीजेपी को करारी मात देने में सफल रहे। उप चुनाव में भले ही सपा की जीत हुई है लेकिन इस जीत की असली हमदार अगर देखा जाए तो मायावती ही हैं अगर उन्होंने सपा को समर्थन नहीं दिया होता तो आज सपा जीत नहीं पाती और भाजपा की यह दुर्दशा नही होती।