बीजेपी का मुकाबला करने के लिए महागठबंधन हाल ही में गोरखपुर-फूलपुर में हुए उपचुनाव में सपा-बसपा ने मिलकर बीजेपी को मात दे दी थी। ऐसे में महागठबंधन की उम्मीदें बढ़ गई हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन का लिटमस टेस्ट है। हालांकि, गठबंधन तो तय है लेकिन कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव परिणाम से सीट बंटवारे की रूपरेखा भी तय होगी। बसपा समर्थकों को उम्मीद है कि अब बसपा को महागठबंधन में ज्यादा सीटों पर दावेदारी मजबूत होगी।
लगभग 19 हजार वोटों से जीती सीट बसपा की कर्नाटक यूनिट के अध्यक्ष एन महेश ने राज्य की कोल्लेगला विधानसभा सीट पर सफलता हासिल की है. दलित बाहुल्य यह सीट आरक्षित है। इस सीट पर बसपा को 71792 वोट मिले हैं। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के एआर कृष्णामूर्ति को 52338 वोट मिले। इस सीट पर बीजेपी को 39690 वोट मिले। बसपा के साथ ही यूपी की प्रमुख पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी कर्नाटक चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए थे लेकिन पार्टी को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है लिहाजा सपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने की हसरतों को झटका लगा है। वहीं, बसपा इस जीत से अपने राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को बचाने में कामयाब रही है।
ये है फॉर्म्युला
महागठबंधन की बात तो तय है लेकिन अभी भी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में कर्नाटक की जीत बसपा के लिए ज्यादा सीट मांगने का हथियार बन सकती है। हालांकि, यूपी में सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सीटों के बटवारे का वही फॉर्मुला रहेगाजो पहले तैयार हुआ है। 2014 लोकसभा चुनाव में जहां-जहां सपा जीती या रनर अप रही वहां उसके उम्मीदवार मैदान में होंगे। उसी तरह जहां बसपा दूसरे नंबर पर रही थी वहां से उसके प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।
महागठबंधन की बात तो तय है लेकिन अभी भी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में कर्नाटक की जीत बसपा के लिए ज्यादा सीट मांगने का हथियार बन सकती है। हालांकि, यूपी में सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सीटों के बटवारे का वही फॉर्मुला रहेगाजो पहले तैयार हुआ है। 2014 लोकसभा चुनाव में जहां-जहां सपा जीती या रनर अप रही वहां उसके उम्मीदवार मैदान में होंगे। उसी तरह जहां बसपा दूसरे नंबर पर रही थी वहां से उसके प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।
कांग्रेस के शामिल होने से बदल सकता है फॉर्म्युला वहीं कांग्रेस अगर शामिल होती है तो एक बार तीनों पार्टी के नेता साथ मिलकर तय करेंगे। हालांकि कांग्रेस के हिस्से में कम ही सीटें जाने की उम्मीद है। ऐसे में कांग्रेस इसके लिए राजी होगी या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा लेकिन इतना तो तय है कि मायावती सबसे अधिक सीटों के लिए दावा ठोेकेंगी।