मायावती ने बुधवार को घटना की निंदा करते हुये कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग नहीं चाहते हैं कि दलित अपने इतिहास को याद रखें। वहां बीजेपी की सरकार है और उन्होंने ही हिंसा कराई। लगता है इसके पीछे बीजेपी, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है।
‘भीमा कोरेगांव शौर्य भूमि’ का दलितों में है विशेष महत्व- मायावती ने बताया कि भीमा कोरेगांव शौर्य भूमि का खासकर दलित समाज में विशेष महत्त्व है और इसी के मद्देनज़र स्वयं बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एक जनवरी 1927 को यहां अपना श्रद्धा-सुमन अर्पित करने गये थे। जिसके बाद से इस स्थल का महत्त्व दलित स्वाभिमान से और भी ज्यादा बढ़ गया था।
दलितों को नहीं मिल रहा इंसाफ- उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासन में दलितों पर बर्बर जातिवादी व्यवहार व जुल्म-ज्यादती आदि की जितनी भी दर्दनाक घटनायें राष्ट्रीय स्तर पर चिन्ता का कारण बनी हैं उनमें से किसी भी मामले में दलितों को न्याय नहीं मिल पाया है। दोषियों को सजा न मिल पाने के कारण ही बीजेपी के ऐसे जातिवादी तत्वों के हौंसले काफी ज्यादा बुलन्द हैं। वे लोग कानून-व्यवस्था को अपना बंधक बनाकर रखे हुये हैं, जो देश के लिए बड़ी शर्म व चिन्ता की बात है, लेकिन फिर भी बीजेपी की सरकारें इससे बेपरवाह व गै़र-जिम्मेदार बनी हुई हैं। इन मामलों में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का रवैया और भी ज्यादा लापरवाह दिखाई पड़ता है।
मृतक के परिजन व घायलों की मदद करे सरकार- मायावती ने इस घटना में मृतक युवक के परिवार के प्रति गहरा शोक व दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मृतक परिवार की हर सम्भव मदद के साथ-साथ सरकार को इस घटना में घायलों की भी समुचित सहायता करनी चाहिये। दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिये ताकि जातिवादी लोग ऐसा दुस्साहस दोबारा न कर सकें। लेकिन सरकार के रवैये को देखते हुये इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है।