1995 में सपा-बसपा ने यूपी विधानसभा की क्रमश: 256 और 164 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा था। सपा तब109 सीट जीतने में कामयाब रही जबकि 67 सीटों पर बसपा को सफलता मिली थी। लेकिन 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड से दोनों पार्टियां अलग हो गईं।
1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद से सपा-बसपा में इतनी तल्खियां बढ़ गयी थीं कि दोनों ही दल एक दूसरे को अपना कट्टर प्रतिद्धंदी मानने लगे थे। इस कांड के बाद मुलायम और मायावती में कोई संवाद तो दूर, यह दोनों नेता कभी एक दूसरे के सामने भी नहीं पड़े। लेकिन अब राजनीतिक मजबूरी है कि दोनों दलों के नेता मंच साझा करने को तैयार हैं। लेकिन इस रैली को लेकर मुलायम सिंह खुश नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अभी तक मुलायम सिंह यादव ने मायावती के साथ मंच को साझा करने के संबंध में कोई सहमति नहीं दी है। इससे संशय है कि इस रैली में वह पहुंचेगें भी या नहीं। इसके पहले बसपा के साथ सपा के गठबंधन पर मुलायम विरोध जता चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘अब उन्होंने (अखिलेश यादव) मायावती के साथ आधी सीटों पर गठबंधन किया है। अखिलेश ने मुझसे पूछे बिना ही बसपा से गठबंधन कर लिया। आधी सीटें देने का आधार क्या है?
यूपी में सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन के नेता 7 अप्रेल से 16 मई के बीच राज्य भर में 11 संयुक्त रैलियां करेंगे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती और रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह की पहली संयुक्त रैली 7 अप्रेल को सहारनपुर के देवबंद में होगी। इसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना और बिजनौर में मतदाताओं को रिझाने का लक्ष्य रखा है। अगली संयुक्त रैली 13 अप्रेल को बदायूं में व आगरा में 16 अप्रेल को होगी। इसके बाद 19 अप्रेल को मैनपुरी, रामपुर, फिरोजाबाद और कन्नौज में रैलियां होंगी। रामपुर और फिरोजाबाद में 20 अप्रेल, 25 अप्रेल को डिंपल यादव के लिए कन्नौज में तो 1 मई को अयोध्या और आजमगढ़ में 8 मई को रैली होगी। 13 मई को गोरखपुर और आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी में 16 मई को संयुक्त रैली का कार्यक्रम है।