मंगलवार की रात केजीएमयू के दंत संकाय के पीछे स्थित भगवान वाल्मीकि के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया। जानकारी मिलते ही बुधवार सुबह वाल्मीकि समाज के सैकड़ों लोगों ने हंगामा किया। किसी बवाल की संभावना को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रही। मामले को शांत कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू करा दिया है। वाल्मीकि समाज की ओर से चौक कोतवाली में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। वहीं, केजीएमयू के चीफ प्राक्टर ने भी मंदिर गिराये जाने की किसी पूर्व सूचना से इनकार करते हुए दोषियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई। उनका कहना है कि करीब एक सप्ताह पहले दंत संकाय के पीछे की जमीन को समतल कराया गया था। इसी बीच ठेकेदार ने बिना किसी सूचना के वाल्मीकि मंदिर तोड़ दिया।
मंदिर में 80 वर्षों से हो रही थी पूजा-अर्चनाअखिल भारतीय वाल्मीकि समाज के राष्ट्रीय महासचिव श्यामलाल ने बताया कि मंदिर में करीब 80 वर्षों से पूजा-अर्चना की जा रही थी। 17 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती पर भव्य कार्यक्रम की तैयारियां चल रही थीं, इसी बीच विवि प्रशासन ने रातो-रात मंदिर गिरा दिया। साथ ही मंदिर में स्थापित प्रतिमा, धार्मिक पुस्तकें और पूजन आदि सामग्री गायब करा दी।